स्तनपान से जुड़ी कुछ गलत धारणाओं के बारे में विशेषज्ञों की राय

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Dangerous Myths About Breastfeeding
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Simranjit Kaur

Mother of one, Master of Education with specialization in child-psychology. After becoming mother, I met with real me. I am now learning new concepts of parenting every fresh day and sharing my experiences with other mothers. I believe, one of the most important things that you, as a parent, should work on is - your child's psychology. Understanding the child-psychology will help you build stronger bonds and know them better.

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शिशु के जन्म के बाद आपको माताएं आमतौर पर यह कहती हुई मिल जाएंगी कि उनका दूध शिशु के लिए कम पड़ जाता है या उच्च गुणवत्ता वाला नहीं है। कुछ महिलाऐं तो यह भी कहती है कि अगर आप बीमार है, तो आपको स्तनपान नहीं करवाना चाहिए। स्तनपान से जुड़ी ऐसी ही कुछ प्रचलित गलत धारणाओं के बारे में मैंने कुछ विशेषज्ञों से बात की। उन्होंने ने स्तनपान से जुड़ी कुछ गलत धारणाओं के बारे में हमें जो जानकारी दी, इस लेख के माध्यम से, मैं आपसे सांझी करना चाहूंगी।

ज़रूर पढ़े – किस उम्र तक शिशु को स्तनपान करवाना चाहिए

1मिथक – बच्चे को स्तन पर हर 3 घंटे के बाद 20 मिनट के लिए स्तनपान करवाना चाहिए

इससे जुड़ी सच्चाई – यह बिल्कुल ही गलत धारणा है और इसका वास्तविकता से कुछ भी लेना-देना नहीं है।

 

विषेशज्ञों के मुताबिक, एक नवजात शिशु भी जानता है कि कब वह भूखा है अर्थात वह भूखा होने पर खुद ही रोने लगता है।

कई बार देखा जाता है कि बच्चा सिर्फ 1 से 2 मिनट के लिए ही स्तनपान करता है और फिर 30 से 45 मिनट तक स्तनपान की इच्छा जाहिर नहीं करता। ऐसे में, अगर आपका बच्चा घंटे में दो बार भी स्तनपान के लिए रोता है, तो उसे स्तनपान करवाएं।

आपकी जानकरी के लिए बता दूँ कि अगर आप बच्चे के इच्छा के विपरीत उसे हर 3 घंटे के बाद 20 मिनट के लिए स्तनपान करवाएंगी, तो इससे उसका वजन निर्धारित से ज्यादा होना तय है। इससे आम भाषा में मोटापा भी कह देते हैं। हम सभी जानते है कि शिशु का वजन निर्धारित से ज्यादा या कम होने पर उसे कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

लेकिन, आपको अपने बच्चे के विकास पर नज़र रखनी चाहिए अर्थात हर महीने उसके शारीरिक विकास को जांचते रहना चाहिए। शारीरिक वृद्धि को समझने के लिए आप हमारी 0 से 12 महीने तक शिशु के विकास वाली श्रृंखला पड़ सकते हैं। इसके साथ ही, आप हमारा लेख शिशु विकास चार्ट – 0-12 महीने के शिशुओं के शारीरिक विकास संबंधी जानकारी, भी पढ़ सकते हैं।

2मिथक – स्तनपान कराने के दौरान, आपको कच्चे फल और सब्जियां नहीं खानी चाहिए क्योंकि इससे शिशु को पेट गैस की समस्या हो सकती है।

सच्चाई : विशेषज्ञों के मुताबिक, यह बिल्कुल झूठ है।

वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता। स्तनपान करवाने वाली माता कुछ भी पौष्टिक खाए, इससे शिशु को लाभ ही होगा। लेकिन, फिर भी स्तनपान करवाने वाली महिला को अपने खानपान का खास ध्यान रखना चाहिए। कुछ ऐसे चीजे हैं, जिनका सेवन उन्हें नहीं करना चाहिए। उन चीजों के बारे में जानने के लिए आप हमारा लेख – स्तनपान के दौरान किन खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए – एक निजी अनुभव, अवश्य पढ़ें।

ज़रूर पढ़े – स्तनपान से जुड़ी समस्याओं के लिए किए जाने वाले कुछ घरेलु उपचार

3मिथक – मेरा दूध अच्छा नहीं है!

सच्चाई : यह भी गलत धारणा है।

विशेषज्ञों के मुताबिक अगर मां स्वस्थ है, तो उसका दूध बच्चे की जरूरतों के लिए बिल्कुल उपयुक्त और बच्चे के लिए सबसे अच्छा भोजन है। यहां तक ​​कि माँ के थके होने पर भी, उसका दूध शिशु के लिए सबसे अच्छा भोजन है।

4मिथक – मेरे स्तनों में दूध नहीं है।

सच्चाई : आपके शिशु के दिन में कई बार स्तनपान करने के बाद आपके दूध में कोई कमी नहीं आती।

आपके हर भोजन के बाद आपका शरीर शिशु की जरूरत के हिसाब स्तनों में दूध का उत्पादन कर देता है। वरुद्ध दूध नलिकाएं या किसी बेहद गंभीर समस्या की वजह से ही स्तनों में दूध की कमी हो सकती है। इसलिए यह सोचना कि स्तनपान करने की वजह से आपके स्तनों में दूध की कमी हो गई है, सिर्फ एक गलत धारण है।

5मिथक – दूध की बोतल स्तनपान को प्रभावित नहीं करता है।

सच्चाई : यह भी गलत धारणा है।

कुछ माताओं का मानना है कि अगर बच्चे को स्तनपान के साथ-साथ बोतल दी जाती है, तो इससे स्तनपान पर कोई असर नहीं पड़ता। कई बार देखा जाता है कि कुछ माताएं स्तनपान के दौरान, एक स्तन से दूसरे पर ले जाने के बजाय, शिशु को बोतल दे देते हैं। पर वह यह भूल जाते हैं कि ऐसा करके वह न केवल शिशु का हाजमा खराब कर रहें, बल्कि अपने लिए भी समस्या पैदा कर रहें हैं।

हम जानते है कि बोतल में दिया जाने वाले फार्मूला दूध को पचाना शिशु के लिए आसान नहीं होता। जबकि माँ का दूध आसानी से पच जाता है। ऐसे में, न केवल बच्चे के भोजन के बीच अनियमित अंतराल आते हैं, बल्कि स्तनपान में कमी आने के कारण स्तनों में भी दूध का उत्पादन कम हो जाता है। साथ ही, बोतल की आदत पड़ने पर, शिशु स्तनपान से इंकार करने लगता है। समय के साथ, उसके लिए स्तनपान कर पाना ही मुश्किल हो जाता है।

ज़रूर पढ़े – स्तनपान के दौरान होने वाली पीड़ा और उससे जुड़ी कुछ समस्याएं

6मिथक – अगर दूध पारदर्शी है, तो यह अच्छा नहीं है।

सच्चाई : सच्चाई : यह भी गलत धारणा है।

स्तनपान की शुरुआत से दूध पानी से ज्यादा भरा होता है और बच्चे की प्यास को पूरा करने के लिए जरूरी है। अब ऐसे में अगर आप अपने बच्चे को तब तक स्तनपान करने देते हैं, जब तक वह करना चाहता है, तो कुछ देर बाद आपका दूध भी सफ़ेद, वसा समृद्ध और कैलोरी से भरपूर हो जाएगा। इसलिए, यह कहना कि अगर दूध पारदर्शी है, तो यह अच्छा नहीं है, विशेषज्ञों के मुताबिक सिर्फ एक गलत धारणा है।

7मिथक – अगर मैं बीमार हूँ, या कोई एंटीबायोटिक्स ले रही हूँ, तो मुझे स्तनपान नहीं करवाना चाहिए।

सच्चाई: यह भी एक गलत धारणा है।

आपकी जानकरी के लिए बतान चाहूंगी बीमार होने पर शरीर में उपस्थित वायरस या जीवाणु मां के शरीर में एंटीबॉडी के उत्पादन को उत्तेजित करते हैं, जो रक्त से दूध तक पहुँचते हैं और बच्चे तक बीमारी नहीं पहुँचने देते।

एंटीबायोटिक उपचार के दौरान भी ज्यादातर मामलों में स्तनपान करने की अनुमति होती है। वैसे भी, अगर कोई एंटीबायोटिक स्तनपान करवाने वाली माता के लिए उचित नहीं है, तो इस विषय में दवा के पैकेज पर पूरी जानकारी पहले से ही दी गई होगी। किसी प्रकार की आशंका होने पर, आप एक स्तनपान विशेषज्ञ से भी पूछ सकते हैं।

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