
इस लेख में
- स्तनपान के लाभ।
- दवा के रूप में स्तनपान।
- जीवनरक्षक के रूप में स्तनपान।
यदि आप निर्धारित आयु से पहले अपने बच्चे का स्तनपान छुड़वाने के बारे में सोच रही है, या फिर आप हाल-फ़िलहाल में ही माँ बनी है और स्तनपान से जुड़े लाभों के बारे में उलझन में है, तो कृपया इस लेख को अवश्य पढ़ें। स्तनपान केवल एक बच्चे और माँ के लिए ही नहीं, बल्कि परिवार, समाज और पूरे वातावरण के लिए अच्छा है।
स्तनपान से माँ और बच्चे का रिश्ता मजबूत होता है
एक शोध के अनुसार, विशेषज्ञों द्वारा यह माना गया है कि जिन शिशुओं को उनके जन्म के तुरंत बाद स्तनपान करवाया गया था, उनका रिश्ता अपनी माँ से, उन बच्चों की तुलना में ज्यादा घनिष्ठ होता है, जिनको स्तनपान देरी से मिला हो या मिला ही न हो। जिन बच्चों को स्तनपान करवाया जाता है, वे अपने बेहतर साइकोमोटर विकास के कारण बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं।
स्तनपान, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है
कोलोस्ट्रम (माँ का पहला दूध) एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल कारकों से भरपूर होता है। यह कारक बच्चे को कई प्रकार की बीमारियों से बचाते हैं। जो आवश्यक तत्व बच्चे को कोलोस्ट्रम से मिलते हैं, वे किसी भी उपलब्ध फॉर्मूला दूध में मौजूद नहीं हैं।
स्तन का दूध बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करने में भी मदद करता है। तकरीबन हर फार्मूला मिल्क की पैकिंग पर लिखा जाता है कि माँ का दूध बच्चे के लिए सबसे अच्छा भोजन है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्तनपान बच्चे के लिए जरूरी पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है।
स्तनपान, दस्त में एक अच्छा समाधान
क्या आप जानते हैं कि संक्रामक दस्त, विकासशील देशों में शिशुओं की मृत्यु के अन्य प्रमुख कारणों में से एक है? दो महीने से कम उम्र के बच्चे जिन्हें स्तनपान नहीं प्राप्त होता, उनमें इस संक्रमण की वजह से होने वाली मृत्यु का जोखिम हमेशा बना रहता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दस्त लगने के दौरान स्तनपान जारी रखने से निर्जलीकरण, रोग की गंभीरता, अवधि और दुष्परिणाम कम हो जाते हैं। स्तनपान, संक्रामक दस्त में वर्जित नहीं है। इसके विपरीत, इसमें मौजूद एंटीबॉडी के माध्यम से दस्त के उपचार में मदद मिलती है। हालांकि दस्त के दौरान किसी फार्मूला या बाहरी दूध की मनाही होती है, लेकिन स्तनपान करवाना ठीक समझा जाता है।
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स्तनपान, सम्पूर्ण पोषक तत्व देता है
माँ का दूध एक ऐसा दूध है, जिसका किसी भी तरह से अनुकरण नहीं किया जा सकता है। बाजार में उपलब्ध किसी भी फार्मूला मिल्क में वह पोषक तत्व नहीं होते, जो माँ के दूध में होते हैं। स्तनपान की तुलना में फार्मूला मिल्क को पचाना आसान नहीं होता और सबसे अच्छी बात यह है कि, शिशु के विकास के चरणों के आधार पर माँ के दूध की सरंचना अपने-आप बदलती रहती है। माँ का दूध अपने जीवन के पहले 6 महीनों में एक बच्चे की सभी पोषण आवश्यकताओं को स्वचालित रूप से संतुष्ट करता है।
स्तनपान, बच्चों की शारीरिक और आंतरिक क्षमता में वृद्धि करता है
6 महीने तक के बच्चों में कुपोषण को पूरी तरह से खत्म करने के लिए, स्तनपान एक विशेष उपाय है। 6 महीने से अधिक उम्र के छोटे बच्चों के लिए, स्तनपान स्वस्थ विकास का आधार है। स्तनपान प्राप्त बच्चों में, यहां तक कि जो समय से पहले पैदा हुए थे, अन्य शिशुओं की तुलना में उच्च विकास स्कोर और उच्चतर बुद्धि का देखा गया है।
स्तनपान, बीमारी से जल्द राहत दिलाता है
इसमें कोई दो राय नहीं कि स्तनपान पचाने में आसान और पौष्टिक होता है, जो शिशु के खाद्य संसाधनों को बेहतर बनाता है। जब कोई बच्चा बीमार होता है और भूख न लगने के संकेत देता है, तो स्तनपान से उसके पोषण की दैनिक आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं। भले ही आपका शिशु किसी अन्य भोजन में रूचि नहीं दिखा रहा हो, तब भी आपको स्तनपान नहीं रोकना है। बीमारी की स्थिति में, स्तनपान से आपके शिशु को सभी पोषक तत्व और एंटीबॉडी मिल जाते हैं।
माँ के दूध से असहिष्णुता नहीं होती
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि माँ के दूध से असहिष्णुता नहीं होती। वे गाय के दूध के प्रोटीन के प्रति असहिष्णु हो सकते हैं, लेकिन स्तनपान के मामले में ऐसा कुछ नहीं है।
स्तनपान, जीवन रक्षक है
प्रतिवर्ष शिशु मृत्यु के लगभग 9 मिलियन मामलों का अनुमान लगाया जाता है। स्तनपान करवाने से बच्चों को संक्रामक रोगों से बचा कर, इस अनुमान को लगभग 6 मिलियन तक लाया जा सकता है।
बच्चे को स्तनपान करवाए जाने से, उसे उन सभी बीमारियों से, जो उसकी मां को थी या बीमारियां जैसे कि खसरा, चिकनपॉक्स, रूबेला, और मम्प्स इत्यादि से बचाया जा सकता है। माँ का दूध शिशु को इन समस्याओं से लड़ने के लिए एंटीबॉडी प्रदान करता है।
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स्तनपान, गर्भावस्था के बाद का डिप्रेशन कम करने में मददगार होता है
स्तनपान करवाने से मां न केवल खुद के वजन को कम कर सकती है, बल्कि उसकी उसकी मानसिक स्थिति में भी सुधार होता है। इसके लिए परिवार का समर्थन होना बेहद जरूरी है। पति, दादा-दादी, दोस्त,सभी के सहयोग से माँ को ताकत मिलती है और उसका विश्वास बढ़ाता है। इसलिए, उसे अगर कोई डिप्रेशन है, तो सभी को उस पर भरोसा दिखाना चाहिए। ध्यान रहे, हार्मोनल गिरावट से ही डिप्रेशन को कम किया जाता हैऔर इसके लिए माँ का खुश रहना जरूरी है।
स्तनपान, माता के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है
आंकड़े बताते हैं कि स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में, शिशु के जन्म के बाद, स्तनपान नहीं करवाने वाली महिलाओं की तुलना में स्तन कैंसर और डिम्बग्रंथि के कैंसर की होने की आशंकाएं बेहद कम हैं। इसके अलावा, स्तनपान करवाने से माताओं में प्रसवोत्तर रक्तस्राव और एनीमिया का खतरा भी कम हो जाता है।
स्तनपान करवाने से प्रजनन क्षमता कम हो जाती है
स्तनपान करवाने वाली माताओं में आमतौर पर जन्म के बाद लंबे समय तक बांझपन रहता है। जब तक बच्चा विशेष रूप से स्तनपान करता है, तब तक दिन और रात, ओव्यूलेशन नहीं होता है, मासिक धर्म चक्र बहाल नहीं होता है, और मां गर्भवती नहीं होती है।
जैसे ही आहार विविधीकरण प्रक्रिया शुरू होती है या स्तनपान के अलावा बच्चे को फार्मूला दिया जाना शुरू किया जाता है, तो गर्भावस्था का जोखिम बहुत अधिक होता है।
स्तनपान करवाने में आसान है
माँ का दूध ताजा, कीटाणुरहित, और हमेशा इष्टतम तापमान पर होता है। यह हर तरह से तुरंत दिए जाने के लिए बिल्कुल सही होता है। फार्मूला दूध की तरह, इसे आपको उबालना और फिर ठंडा करना नहीं पड़ता।
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स्तनपान से धन की बचत होती है
स्तनपान आपको बहुत पैसा बचाता है क्योंकि स्तनपान के लिए आपको महंगे फार्मूले, बोतल, निप्पल, और अन्य सामान पर खर्च करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसके अलावा क्योंकि स्तनपान से आपके बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार आता है, तो इससे आप बच्चा कम बीमार पड़ता है। इस वजह से भी आप व्यर्थ की दवाओं को खरीदने से बचे रहते हैं।
स्तनपान से पर्यावरण सुधारने में मदद मिलती है
सबसे अहम् बात, स्तनपान करवाने से आप एक तरह से पर्यावरण की मदद भी करते हैं। क्योंकि आपको दूध पिलाने के लिए प्लास्टिक की बोतल और निप्पल इत्यादि नहीं खरीदने पड़ते। इससे आप पर्यावरण को प्रदूषित करने में भागीदार नहीं बनते।
तो, ये स्तनपान के कुछ बहुत महत्वपूर्ण लाभ थे। यदि आप कुछ और जोड़ना चाहते हैं, तो कृपया हमें जरूर बताएं। यदि आपके पास इससे जुड़ा कोई प्रश्न है, तो बेझिझक पूछें।
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