
अगर आप शिशु की शारीरिक विकास में वृद्धि सम्बन्धी मेरा पिछला लेख पढ़ चुकी हैं, तो आप समझ ही गई होंगी कि इस दौर से गुज़रना कितना मुश्किल हो सकता है। इस लेख में, मैं शिशु की शारीरिक विकास में वृद्धि सम्बन्धी समस्याओं से कैसे निपटें, इस विषय पर बात करना चाहूंगी।
यह परेशानी तब और बढ़ जाती है, जब हमारा शिशु बहुत छोटा होता है और उसके कुछ भी कह पाने की असमर्थता के कारण, हमें भी यह समझने में बहुत कठिनाई होती है कि वह कितनी परेशानी से गुज़र रहा होगा। शिशु की शारीरिक विकास में वृद्धि सम्बन्धी बदलावों का धैर्यपूर्वक सामना कर पाना उस वक़्त और भी कठिन हो जाता है जब आप पहले से ही नींद की कमी से झूझ रही हों। जिस वक़्त माँ को खुद आराम की सख्त ज़रूरत होती है, ऐसे वक़्त में शिशु द्वारा वांछित माँ की अतिरिक्त उपस्थिति दे पाना एक माँ के लिए भी मुश्किल हो जाता है।
मेरे पिछले लेख में, शिशु की शारीरिक विकास में वृद्धि सम्बन्धी मैंने जो भी लक्षण बताए थे, उनको ध्यान में रखते हुए, अगर आपको लगे कि आपका बच्चा शारीरिक विकास की वृद्धि से गुज़र रहा है और वह हर समय आपको अपने आसपास ही देखना चाहता है। तो उस से परेशान होने के बजाय, उसे शांत होने में मदद करें। मैं मानती हूँ कि जब आप थकी हुई होती हैं और ऐसे में अगर आपको शिशु को गोद में ले कर बैठना पड़े, वो बहुत परेशानी भरा हो सकता है। परन्तु, जैसा कि मैंने पिछले लेख में कहा था, यह दौर जल्द ही बीत जाने वाला होता है, इसीलिए आप थोड़ी हिम्मत से काम लें।
ऐसा नहीं है कि इस दौर में जब शिशु रोता है, तो उसे हर वक्त दूध ही पीना है। कई बार शिशु को सिर्फ आपकी उपस्थिति चाहिए, वो आपके सीने से लग कर, दूध चाहे ना पिए, परन्तु, सुरक्षित महसूस करता है। असल में उसके रोने के पीछे एक वजह यह भी हो सकती है। ऐसे में, अगर आप उसे गोद में उठा कर दूध पिलाने का प्रयास करती हैं, तो यह शिशु के लिए बहुत ही बेहतरीन रहता है।
ऐसी परिस्थति में, जब तक आपका शिशु चाहे, उसे स्तनपान करने दे। आपके लिए बेहतर यह रहेगा कि आप स्तनपान करवाने के लिए कोई ऐसी पोज़िशन अपना लें, जिससे आपको स्तनपान करवाना आसान भी रहे और आप आराम भी कर सके। स्तनपान की पोज़िशन सम्बन्धी मेरे कुछ पुराने लेख पढ़ना न भूलें। साइड लाइयिंग पोज़िशन, मेरी पसंदीदा पोज़िशन है। यह पोज़िशन माता को और उसकी पीठ को ज़रूरी आराम दे देती है। इसके साथ ही, इस तरीके से स्तनपान करना मेरी बेटी को बहुत बढ़िया लगता था। ज़्यादातर तो वो स्तनपान करते करते ही सो जाती थी।
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जहा तक इस दौर में शिशु के चिड़चिड़ा होने का सवाल है, तो उसका एक बेहतरीन इलाज है, शिशु के वातवरण में परिवर्तन करना। कई बार शिशु इसलिए भी चिड़चिड़ा हो जाता क्योंकि वो या तो स्थान में परिवर्तन चाहता है, या गोद में। अगर आपके पास कोई और उपस्थित है, जो आपके शिशु को कुछ समय के लिए गोद में उठा सकता है, तो यह बहुत ही बढ़िया रहेगा। परन्तु, अगर ऐसा कर पाना संभव नहीं है, तो उसके स्थान में परिवर्तन अवश्य कर दें।
इस दौर में, जब मेरी बेटी चिड़चिड़ी हो जाती थी, तो मैं उसे घर के नज़दीक ही एक पार्क में घुमाने ले जाती थी। चाहे वह अपने आस पास की चीज़ो को समझ पाने के लिए बहुत छोटी थी, परन्तु फिर भी उसके लिए खुली हवा में आना और वातावरण में मिलने वाला परिवर्तन सुखद होता था। चाहे थोड़े समय के लिए ही सही, पर वह शांत हो जाती थी।
शारीरिक वृद्धि में विकास के दौरान आपका शिशु अगर ज्यादा सोता है, तो यह तो बहुत ही बढ़िया बात है। परन्तु, अगर वह सोने के इनकार करता है, तो यकीन मानिए, आप उसे कुछ भी ऐसा नहीं दे पाएंगी, जिससे वह सो जाए। ऐसी स्तिथि में बेहतर रहेगा कि आप उसे गोद में उठा कर इधर-उधर घुमायें। ध्यान रहे की आपको इस समय के दौरन, किसी भी हालत में आपना धैर्य नहीं खोना है। मैं मानती हूँ कि आपको भी आराम चाहिए, परन्तु, धैर्य खोने से अच्छा है कि अपने किसी नज़दीकी से मदद के लिए कहें।
मेरी बेटी भी जब शारीरिक वृद्धि में विकास के चरणों से गुज़र रही थी और परेशान थी, उस दौरान मैंने और मेरे पति ने समय बाँट रखा था। हम बारी-बारी से उसे उठाते थे, खेलते थे, और उसे शांत रखने का हर हर संभव प्रयास करते थे। खुशकिस्मती से, यह दौर 2-3 दिन तक ही चला और उसके बाद मेरी बेटी पूरी रात आराम से सोने लगी थी।
वास्तव में, मैं यह कहना चाहती हूँ कि ऐसी परिस्थिति से हर माता-पिता को गुज़ारना पड़ता है। अगर आप को लग रहा कि आप पूरी तरह से आराम नहीं कर पा रही हैं, तो धैर्य खोने से अच्छा है कि अपने किसी सगे-सम्बन्धी से मदद मांग ले। कुछ भी हो, स्तनपान करवाना ना छोड़े और फार्मूला मिल्क देना न भूलें। यह दौर कठिन ज़रूर होता है, पर गुज़र जाता है।
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अगर आप भी इस दौर से गुज़र चुकी है, तो मैं आपके अनुभव जानना चाहूंगी। कृपया मुझे बताए कि आपने अपने शिशु की शारीरिक वृद्धि में विकास के चरणों के दौरान, आपने शिशु को शांत रखने ले लिए कौन- कौन से तरीके अपनाए थे?
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