
सिर्फ छह महीने में, आप देखेंगे कि आपके बच्चे में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। वह अब एक नवजात शिशु नहीं है, जो खाने, सोने, और रोने के अलावा कुछ नहीं करता था। छह महीने का होने पर, आपको उसके व्यक्तित्व की झलकियाँ देखने को मिलेंगी। आइए हम छह महीने के बच्चे के स्वास्थ्य और विकास के बारे में बात करें।
1शारीरिक विकास
छठे महीने में आप देखेंगी कि आपका शिशु अब बिना किसी सहारे के या थोड़ा सा सहारा देने पर खुद-ब-खुद बैठा रहता है। इस महीने में आपका शिशु अपने आप ही उलट बाज़ियाँ खाने लग जाता है। पांचवें महीने की तरह, छठे महीने में भी आपका शिशु अपने पैरों को मुहं में डालने का भरपूर प्रयास करेगा। इसके साथ ही आप देखेंगी कि कैसे आपका छह महीने का बच्चा, पेट के बल लेटे -लेटे ही खुद को ऊपर उठाने का प्रयास करता है।
छठे महीने में आपका बच्चे अपने हाथों और पैरों को किसी वस्तु को उठाने के लिए आगे की ओर फैलाना शुरू कर देता है। वह अपने हाथ में आए खिलौने को एक हाथ से दूसरे हाथ में अदल -बदल करने लग जाता है।
आमतौर पर इस उम्र में आपके बच्चे का पहला दांत आ जाता है। परन्तु, दांत निकलने की यह उम्र सभी बच्चों में एक जैसी नहीं होती। लेकिन दांत निकलने का क्रम सभी बच्चों में एक जैसा ही होता है।
दांत निकलने का सबसे सामान्य लक्ष्ण, आप देखेंगे कि आपका शिशु हर चीज़ मुंह में डालने की कोशिश करने लग जाता है और पहले से ज़्यादा ज़ोर लगा कर दांतों से उस वस्तु को काटने की कोशिश करता है। दांत निकलने के कुछ और लक्ष्ण भी है जैसे कि घबराहट, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, नींद ना आना, कब्ज, खाँसी, दस्त और भूख न लगना इत्यादि। हालांकि, यह सब लक्ष्ण सिर्फ दांत निकलने के नहीं होते, पर फिर भी छठे महीने में ऐसे लक्षणों को दांत निकलने से जोड़ा जा सकता है।
हू के अनुसार, छह महीने की उम्र में, लड़कों का औसत वजन 6.4 से 9.7 किलोग्राम के बीच होता है, जबकि लड़कियों का औसतन वजन लड़को से थोड़ा कम यानि कि 5.8 – 9.2 किलोग्राम तक होता है। ऊंचाई की बात की जाए तो, पांच महीने के लड़के की औसतन ऊंचाई 63.6 – 71.6 सेंटीमीटर हो सकती है, जबकि इस उम्र मे लड़कियों की औसतन ऊंचाई 61.5 – 70.0 सेंटीमीटर के बीच होती है।
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2नींद
आमतौर पर छठे महीने में ज़्यादातर बच्चे 6 से 8 घंटे तक सोते है। अगर इस उम्र में भी आपका शिशु ठीक से नहीं सोता है, तो आपको एक तकनीक लगानी होगी। इस तकनीक के चलते, अगर रात में आपका शिशु उठ जाता है, तो आपको उसे कुछ देर तक अपनी बाहों में नहीं उठाना चाहिए। इस अंतराल को धीरे-धीरे बढ़ाते भी रहना चाहिए। ऐसा करने का एकमात्र कारण अपने बच्चे को रात में सोने की आदत डालना है। जब उसे लगेगा कि कोई उसे बाँहों में उठाने नहीं आ रहा है, तो वह अपने आप से सोने की कोशिश करेगा। परन्तु, ऐसा करने से पहले यह ज़रूर जाँच लें कि कहीं आपका शिशु भूखा या गीला तो नहीं हैं। साथ ही, जब भी आप शिशु को उठाने जाए, तो कोशिश करें कि कमरे में किसी तरह की रौशनी ना करनी पड़े। जो भी करें, दबे पाओं करें।
क्योंकि छठे महीने में आपका बच्चा खुद ही पेट के बल या पीठ के बल मुड़ सकता है, तो अगर आप आपने शिशु को उस अवस्था में नहीं पाती, जिसमें आप उसे लेटा कर गई थी, तो इसमें परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं हैं। हालांकि, छठे महीने में सिड्स यानि कि शिशुओं की अचानक होने वाली मौत का भी खतरा बहुत कम होता है। फिर भी अपने शिशु के इर्द-गिर्द ऐसी कोई चीज़ ना रखे, जिससे किसी दुर्घटना का खतरा हो सकता है।
3बातचीत
छठे महीने में आप अपने बच्चे की बातचीत में भी काफी परिवर्तन देखेंगी। वह आपको अपनी हंसी और ठहाकों से हैरानी में डाल सकता है। उसकी भाषा में “माँ-मा,” “दा-दा”, “टा-टा” जैसे कुछ शब्दों के इलावा भी कई नए शब्दों की आगमन हो सकता है।
तैयार रहिए क्योंकि अब आपको अपने नन्हे शिशु के साथ ढेर सारी बातें करनी पड़ सकती हैं। ज़ाहिर है कि आप उनको पूरी तरह से समझ नहीं पाएंगी, परन्तु फिर भी आपको उसको कहानियां, और गीत सुनाने पड़ेंगे। ऐसा करके आपके आपने शिशु की शब्दों के बारे में जानकारी में वृद्धि करेंगी।
छठे महीने में आपका शिशु अपने परिवार के सभी सदस्यों जैसे कि माँ-बाप, भाई-बहन, दादा-दादी को पहचानने लगेगा। इसके साथ ही वह अपने पसंदीदा खिलौनों को भी पहचानने लगेगा।
इसके इलावा आप देखेंगी कि किस तरह से आपका बच्चा किसी अजनबी को उसे गोद में उठाने पर रोने लगेगा या बिल्कुल ही अलग प्रतिक्रिया करेगा।
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4माता-पिता के लिए कुछ सुझाव
यदि आप देखते हैं कि आपका बच्चा मुस्कुरा नहीं रहा है, बिना किसी समर्थन के खड़ा नहीं हो पा रहा है, ध्वनि या इशारों का जवाब नहीं दे रहा है, बात नहीं कर रहा है (चाहे अपनी भाषा में) या अपने आसपास हलचल कर रही चीज़ों को आँखों से पीछा नहीं कर रहा हो, तो आपको एक बाल रोग विशेषज्ञ से मिल लेना चाहिए।
इस उम्र में आपके बच्चे की आँखों का रंग स्थाई होने की संभावना होती है। मैं आपको बता दूँ कि जन्म से ले कर छठे महीने तक आपके बच्चे की आँखों का रंग कई बार बदलता है। छठे महीने के बाद जब आप अपने बच्चे की आँखों के रंग में कोई बदलाव नहीं देखते हैं, तो यह संभव है कि ये अंतिम रंग होगा।
इसके साथ ही यह भी याद रखें कि यह सही उम्र है जब आपको अपने बच्चे को एक आंखों के विशेषज्ञ के पास पहली बार ले जाना चाहिए।
अब क्योंकि आपका बच्चा बहुत ज़्यादा गतिशील हो गया है, तो आपको इस बात का ख़ास ध्यान रखना है, कि हर तरह की दवाइयां, ज़हरीले एवं विषैले पदार्थ उसकी पहुंच से दूर हों।
इसके अलावा, आवश्यक टीकाकरण के बारे में भी आपको खास ध्यान रखना है।
ज़्यादातर बाल रोग विशेषज्ञ छठे महीने में खाद्य विविधीकरण की सलाह देते हैं;दूसरे शब्दों में, स्तनपान के साथ-साथ शिशु के आहार में अन्य ठोस खाद्य पदार्थों को शामिल करने के लिए कहते हैं।
लेकिन, फिर भी अपने बच्चे के आहार में कोई भी बदलाव करने से पहले अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर लेना बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि आहार विविधीकरण योजना आपके बच्चे के विकास पर निर्भर करती है।
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