
शिशु के जीवन का पहला महीना नए अनुभवों से भरा होता है। हालांकि नवजात शिशु दो मुख्य क्रियाकलापों में ही व्यस्त होते है जैसे कि सोना और स्तनपान करना, पर कुछ समय के बाद बच्चा धीरे-धीरे अपनी दिनचर्या का निर्माण शुरू करता है। आइए जानते हैं 0 – 1 महीने के शिशु का स्वास्थ्य और विकास किस प्रकार से उनन्त होता है।
नवजात शिशु के घर आने के बाद, पहला महीना तो उसके आने की खुशी में आयोजित पार्टियों में निकल जाता है। एक तरफ तो उन समारोहों की थकान और दूसरी तरफ डिलीवरी के बाद की थकान; आपका खुद को थका हुआ महसूस करना एक दम जायज़ है। इन सब के साथ भावनात्मक उतार चढ़ाव और डिलीवरी के बाद होने वाली शारीरिक पीड़ा; उन सब को भी नकारा नही जा सकता।
इंतजार के नौ महीने गुजरने के बाद, अब आप अपने नवजात शिशु के छोटे-छोटे हाथों और उंगलियों को वास्तव में महसूस कर सकते हैं क्योंकि अब आपका शिशु आपके साथ है। अब आप के पास खुला समय है यह जाँचने के लिए कि आपके शिशु का नाक, कान, आँखें, हाथ और पैर आपसे मिलते है या बच्चे के पिता से?
1शारीरिक परिवर्तन

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जैसा कि मैं पहले भी अपने एक लेख में ज़िक्र कर चुकी हूँ कि अगर आपको अपने शिशु के सिर की बनावट में कुछ फ़र्क लगे, उसकी आँखों में या जनानांगों में किसी किस्म की सूजन दिखे, तो चिंता न करें क्योंकि यह बहुत ही स्वाभविक है। इसके अलावा, अपने बच्चे की त्वचा, माथे और पलकों पर लाल धब्बों के बारे में भी परेशान ना हो। इसका एक प्रमुख कारण गर्भ में पाए जाने वाला फ्लूईड होता है।
सभी नवजात शिशु इस तरह दिखते हैं क्योंकि उन्होंने गर्भ में पाए जाने वाले द्रव में बहुत समय (9 महीने) बिताया होता है। कुछ ही समय के बाद आप देखेंगे कि आपके नवजात शिशु की यह सब चीज़े बिल्कुल ठीक हो जाएँगी और उसकी त्वचा पूरी तरह से नरम और चिकनी हो जाएगी। पहले महीने में आपको कुछ चीजों के बारे में बहुत सावधान रहना होगा।
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2वार्तालाप/बातचीत
शुरुआती दिनों में नवजात शिशु दिन में ज़्यादा समय तो अपनी आँखें बंद ही रखते हैं। लेकिन कुछ दिन बीतने के बाद आपको उनकी आँखों में हलचल होती हुई दिखेगी। मेरी बेटी ने भी पहले कुछ दिन तक अपनी आँखें बंद ही रखी (दिन में कुछ ही पलों के लिए वो आँखें खोला करती थी)।
लेकिन कुछ दिनों के बाद बच्चे अपनी आँखें लंबी अवधि के लिए खुली रखने लगते हैं। पहले महीने में, नवजात शिशु 20 से 25cm दूर तक देख सकते है। यह वह दूरी है जिस से वह किसी चेहरे को धुँधला सा देख पाते है। जब वह स्तनपान कर रहे होते हैं तो अपनी माँ पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
मुझे याद है, कैसे मेरे पति और मैं, अपने नवजात शिशु से बात करने के लिए अजीब चेहरों और अलग-अलग इशारों का प्रयोग करते थे। लेकिन, वह शुरुआत में किसी भी इशारे को समझ नहीं पाती थी और ना ही जवाब दे पाती थी। काफ़ी समय के बाद मैं यह समझ पाई कि ऐसा क्यों होता था।
3नींद
नवजात शिशु अपने दिन और रात का एक बड़ा हिस्सा नींद में खर्च करते हैं। विशेष रूप से, इस उम्र के बच्चे प्रतिदिन लगभग 15-16 घंटे सोते हैं।
इस अवधि के दौरान उनकी नींद का कोई समय नहीं होता, पर फिर भी उनकी बेहतर नींद के लिए, आपको एक समय निर्धारित कर देना चाहिए ताकि आपके शिशु को उचित और नियमित नींद मिल सके।
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4विरलाप/रोना
किसी नए माता-पिता के रूप में आपने खुद को कितना भी तैयार किया हो लेकिन मुझे यकीन है कि आप नवजात शिशु को रोता हुए सुनने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं होंगे। परन्तु, पहले कुछ महीनों तक आप अपने नवजात शिशु के बहुत ज़्यादा रोने की उम्मीद कर सकते हैं।
आमतौर पर नवजात बच्चे अलग-अलग तरीके से व्यवहार करते हैं। अक्सर यह देखा गया है कि औसत नवजात शिशु अपने दिन का 7% भाग रोने में खर्च कर देते है। परंतु इसमे घबराने की कोई जरूरत नही है क्योंकि वो तभी रोते है जब उनको किसी चीज़ से असुविधा होती है।
उनके रोने के पीछे कुछ कारण –
- क्या वह भूखा है – आपको ध्यान रखना पड़ेगा कि आपने अपने शिशु को आखरी आहार कब दिया था?
- क्या वह गीला है – आपको देखना पड़ेगा कि कहीं उसका डाइपर गीला तो नही है?
- कहीं उसके पेट में गैस तो नही है जिसके दर्द की वजह से आपका शिशु रो रहा है?
- कहीं उसको नींद तो नही आ रही?
- कहीं उसके चारों ओर बहुत शोर तो नही है?
- कहीं आपका शिशु आपको अपने नज़दीक तो नहीं चाहता?
जानिए कैसे आप उनके रोने को बेहतर समझ सकते हैं –
- भूख की वजह से – ऐसे में शिशु ज़ोर ज़ोर से रोता है और उसकी आवाज़ उँची होती जाती है।
- किसी बेचैनी की वजह से – इस स्थिति में उसका रोना लयबद्ध (rhythmic) होता है पर उसकी आवाज़ तीव्र होती जाती है।
- दर्द की वजह से – इस स्थिति में रोना चिल्लाने जैसा हो जाता है और रुक रुक कर थोड़ी-थोड़ी देर बाद बच्चे का रोना जारी रहता है।
पहले महीने के अंत तक आप आसानी से जान लेंगे कि नवजात शिशु को कैसे सहज महसूस करवाया जा सकता है? आप समझ लेंगे कि कब उसे खिलौना दे कर ही चुप करवाया जा सकता है और कब आपको उसे गोद में उठाना ही पड़ेगा।
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5माता-पिता के लिए कुछ सुझाव
हम सभी जानते हैं कि गर्भ में बच्चों को जो भी आहार मिलता है वो गर्भनाल से ही मिलता है। गर्भनाल माता और बच्चे के बीच में आहार पहुँचाने का एकमात्र माध्यम होता है।
जन्म के तुरंत बाद, नालिका को एक क्लिप से जोड़ कर काट दिया जाता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है और आपको चिंता नहीं करनी चाहिए। फिर भी काटने के बाद बची हुई गर्भनाल के बारे में आपको अत्यंत सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
आपको ध्यान रखना है कि गर्भनाल किसी भी प्रकार के संक्रमण से सुरक्षित और सूखी रहे। आपको इस पर बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता है क्योंकि इसके बारे में हल्की सी लापरवाही भी रक्तस्राव और किसी ख़तरनाक संक्रमण का कारण बन सकती है।
पहले महीने के बाद आप काफ़ी हद तक अपने शिशु की देख-रेख में विशेषज्ञ बन जाएँगे। इसके साथ ही आपको अपने नवजात शिशु की मदद करने के लिए रणनीतियों का विकास करते रहना चाहिए ताकि आप अपने नवजात शिशु की आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से पूरा कर पाएँ।
इसमे कोई दो राय नहीं है कि हर बच्चा दूसरे बच्चे से अलग है। भले ही आपका बच्चा विकास के चरणों को किसी भी गति से पार करे, उसे निर्धारित विकास के मार्गों का पालन करना ही होगा।
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