
गर्भस्राव, किसी भी गर्भवती महिला के लिए सबसे दर्दनाक घटना होती है। गर्भस्राव के बाद माँ बनने वाली महिला को होने वाली शारीरिक असुविधा को हम सब देख पाते हैं, परन्तु भावनात्मक तौर पर पहुँचने वाली चोट को सिर्फ वही महिला महसूस कर सकती है, जो खुद इस पीड़ा से गुज़र चुकी हो। इस पीड़ा को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। इसमें कोई आशंका नहीं कि गर्भस्राव के बाद शारीरिक रूप से एक माँ बनने वाली महिला को खुद पर बहुत ध्यान देना पड़ता है, परन्तु ऐसे में भावनात्मक स्थिति को भी नज़र अंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। अक्सर गर्भस्राव की वजह से होनी वाली भावनात्मक पीड़ा से बाहर आ पाना बहुत मुश्किल लगने लगता है। हालांकि यह एक बहुत ही संवेदनशील विषय है, पर आज मैं आपको गर्भस्राव के बाद खुद को कैसे संभाला जाना चाहिए, इस विषय में बात करना चाहूंगी।
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अपने आप को समय दें
हम सब जानते हैं कि समय सबसे बड़ा मरहम है। गर्भस्राव को सहजता से लिया जाना सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है। आपको समझना होता है कि आपका शरीर और मन दोनों अभी एक सामान्य जीवन के लिए तैयार नहीं हैं। मैं समझ सकती हूँ कि गर्भस्राव के बाद बच्चे के लिए आपकी बेचैनी बहुत बढ़ जाती है और यह बहुत ही सामान्य बात है। परन्तु आपको यह भी समझना होगा कि बच्चे के लिए दुबारा कोशिश करने से पहले आपको कुछ समय के लिए प्रतीक्षा करनी चाहिए। ज़ल्दबाज़ी में न सिर्फ आप खुद के स्वस्थ को नुकसान पहुंचाएंगी, बल्कि आने वाले शिशु को भी खतरे में डालेंगी।
अनचाही टिप्पणियों पर ध्यान न दें
गर्भस्राव होने के बाद आपको कई लोगो की प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ सकता है। यकीन मानिए, इनमे से बहुत सी प्रतिक्रियाएं ऐसे लोगों द्वारा दी जाएँगी, जो कभी इस पीड़ा से गुज़रे ही नहीं। आप समझ ही सकते हैं कि बिना अनुभव के उनकी प्रतिक्रिया या सलाह कितनी वज़नदार हो सकती है? कहने का तात्पर्य यह है कि गर्भस्राव के बाद आपको हर किसी की बात पर ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है। अगर आप हर ऐरे-गैरे नत्थु खैरे की बात को गंभीरता से लेने लग जाएँगी, तो आपकी सेहत और बिगड़ जाएगी।
अपनी भावनाओं को दबाना बंद कर दे
गर्भस्राव होने के बाद अगर आप अपनी भावनाओं को दबाती हैं , तो यकीन मानिए, आप अपनी सेहत के लिए अच्छा नहीं कर रही हैं। गर्भस्राव के बाद आपको हमेशा लगता है कि आपको ज़िन्दगी में आगे बढ़ जाना चाहिए और यही सही भी है। पर ऐसा करने के लिए अपनी पीड़ा या भावनाओं को दबाना उचित नहीं है। वास्तविकता से मुंह न मोड़ें। अगर आप रोना या चिल्लाना चाहती हैं, तो अपने आप को रोके नहीं। अगर आप ऐसा नहीं करती, तो आपके डिप्रेशन में जाने कि भरपूर संभावनाएं है।
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बच्चों के इर्दगिर्द रहें
गर्भस्राव के बाद बच्चों के इर्द-गिर्द रहना एक बेवकूफी भरा सुझाव हो सकता है। पर यकीन मानिए, विशेषज्ञों के अनुसार यह बहुत ही बढ़िया सुझाव है। मेरी एक चचेरी बहन को उसके दूसरे बच्चे के समय गर्भस्राव हुआ था। लेकिन घर में अन्य बच्चों की उपस्थिति की वजह से उसको इस पीड़ा से उभरने में ज़्यादा समय नहीं लगा।
बच्चों के इर्द-गिर्द होने से आप बहुत ज़्यादा भावुक हो सकती हैं। पर यह एकदम सही है क्योंकि यह आपको रोने और अपना मन हल्का करने के लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है।
जितना हो सके अपने परिवारजनों के साथ समय बिताएं
गर्भस्राव के बाद इस बात की पूरी आशंका होती है कि आप खुद को अकेला रखना चाहेंगी।
खुद को कमरे में बंद कर लेना, कुछ हद तक तो मददगार साबित हो सकता है, परन्तु आपका ऐसा करना आगे चलकर समस्याएं ही पैदा करता है। ऐसे में आपको चाहिए कि जितना हो सके अपने परिवारजनों के साथ समय बिताएं।
जितना ज़्यादा आप उनके साथ अपना दुःख साँझा करेंगी, उतना ही आपको अच्छा महसूस होगा और उतनी ही जल्दी आप पहले जैसी ज़िन्दगी जीने लगेंगी।
जो भी आपके बहुत करीबी हो, उसकी संगत में ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताएं क्योंकि इससे आपको भावनात्मक रूप से बेहद सुख मिलेगा।
कुछ व्यायाम करें
आपने शायद न सुना हो कि कसरत करने से शरीर में सकारात्मकता आती है। ज़ाहिर है, गर्भस्राव के बाद आपको शारीरिक और भावनात्मक रूप से ठीक महसूस करना बहुत ज़रूरी है और यह जितनी जल्दी होगा उतना ही बेहतर रहेगा। गर्भस्राव के बाद जब आपको लगे की आप शारीरिक रूप से थोड़ी बेहतर है, तो शाम को सैर पर जाना शुरू करें। जैसे ही आपको लगे कि आप शारीरिक तौर पर हल्के व्यायाम के लिए तैयार है, आप कसरत शुरू कर दें। यकीन मानिए, ऐसा करने के कुछ समय बाद ही आप खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से बेहतर महसूस करने लगेंगी।
जो हुआ उसे भूल जाएँ
इसमें कोई दो-राय नहीं कि यह सलाह सुनने में जितनी आसान लगती है, करने में उतनी ही मुश्किल है। जैसा मैंने पहले कहा कि समय से बड़ा कोई मरहम नहीं होता, तो समय के साथ ही आप इस दर्दनाक हादसे को भुला पाएंगी। यह सच है कि इस समय के दौरान आपको बहुत ज़्यादा नैतिक समर्थन अर्थात मोरल सपोर्ट की ज़रूरत होती है। इसलिए, जब भी आप खुद को उदास या टुटा हुआ महसूस करें, किसी अपने से सहारे की मांग ज़रूर करें। अगर आप अतीत में ही अटकी रहेंगी, तो जो तौफे आपको भविष्य देना चाहता है, आप खुद को उनसे वंचित कर लेंगी।
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मैं समझ सकती हूँ कि गर्भस्राव का एक माँ बनने वाली महिला के जीवन पर क्या असर होता है और उसे कितनी पीड़ा का सामना करना पड़ता है। कई बार यह माँ बनने वाली महिलाओं में जीने की इच्छा को ही ख़त्म कर देता है। पर मैं यही कहूँगी कि ज़िन्दगी चलती रहती है और हमें भी पुरानी बातों को भुला कर आगे बढ़ना ही पड़ता है। ऐसे में परिवारजनों के भावनात्मक समर्थन से आप इस पीड़ा से आसानी से उभर सकती हैं।
क्या आपको भी इस पीड़ा से गुज़रना पड़ा था? आपको इस दुःख से बाहर आने में कितना समय लगा था? आपने क्या किया था? हमारे पाठकों को अपने अनुभवों के बारे में ज़रूर बताएं।
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