हमने अपने पिछले लेख में मुँहासों के कारणों और लक्षणों के बारे में चर्चा की थी आप से निवेदन किया था कि चाहे मुँहासे हों या दाने, आपको दोनों की पुष्टि एवं इलाज के लिए एक अच्छे बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर लेना चाहिए। याद रखें कि बच्चों की मुँहासों की समस्या स्थायी नहीं होती, और ज्यादातर मामलों में, कुछ ही समय में अपने आप ही ठीक हो जाती है। लेकिन, अगर मुँहासे तीन महीने से अधिक समय तक रहते हैं, तो आपको तत्काल अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। बहुत मामलों में, आप जो चाहे कर लें, लेकिन यह मुँहासे पूरा समय लेकर ही ठीक होते हैं। पर फिर भी अगर कुछ घरेलु उपचार कर लिए जाएं, तो इसमें कोई नुकसान भी नहीं है। आज इस लेख में, मैं बच्चों के मुँहासों के कुछ घरेलु उपचार और इन्हें रोकने के तरीकों के बारे में बात करुँगी।
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1अपने बच्चे की त्वचा के साथ कोमल रहें
वैसे तो, इसमें बताने जैसा कुछ नहीं है और हम सब ही यह जानते हैं कि बच्चों की त्वचा नाजुक होती है और हमें खास ध्यान रखना होता है। वास्तव में, हम सब इस बात का खास ध्यान रखते भी हैं। हम अपने शिशु के लिए बाज़ार में उपलब्ध बढ़िया से बढ़िया , और खरीदतें हैं। परन्तु, हम में से बहुत लोग यह नहीं जानते कि यह सभी उत्पाद उनकी त्वचा द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं।
ऐसे में, हमें किसी भी ऐसे उत्पाद से परहेज करना चाहिए, जो बच्चे की नाजुक त्वचा को नुकसान कर सकता हो। इसके साथ ही, शिशु की साफ-सफाई करते वक़्त आपको बहुत ही हल्के हाथों का प्रयोग करना चाहिए। आपके द्वारा थोड़ी सी लापरवाही भी शिशु की त्वचा के लिए हानिकारक हो सकती है।
2अपने बच्चे को ज़रूरत से ज़्यादा कपड़े न पहनाएं
मानों या न मानों, लेकिन खासतौर पर भारत में, हम नवजात बच्चों को जरूरत से ज़्यादा ही ढक कर रखते हैं। हमारा ऐसे करने का कारण हमारा खुद का डर होता है। हमें लगता है कि यदि बच्चों को अच्छे से ढक कर नहीं रखा जाएगा, तो उन्हें सर्दी इत्यादि लग सकती है। ऐसा हम केवल सर्दियों में ही नहीं, बल्कि गर्मियों में भी करते हैं। हम बच्चों को अनगिनत कंबलों में लपेट-लपेट कर रखते हैं।
लेकिन यहाँ हम आपको बताना चाहेंगे कि बच्चों को भी हम वयस्कों की तरह ही गर्मी लगती है और उन्हें भी हमारी तरह घमौरियां अर्थात गर्मी के दाने हो जाते हैं। ऐसे में अगर उन्हें जरूरत से ज़्यादा कपड़े पहनाए जाएंगे, तो उनको और पसीना आएगा और इससे उनको ज्यादा तकलीफ होगी। इस चीज़ से बचने के लिए एक सीधा सा उपाय यह है कि हम वयस्कों की तुलना में उनको कपड़े की केवल एक और परत की आवश्यकता होती है।
3मुँहासों पर प्रोबायोटिक्स लगाएं
यह तरीका अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजी द्वारा अनुमोदित किया गया है। उनके मुताबिक बच्चे की प्रभावित त्वचा पर प्रोबायोटिक्स लगाने से उसे काफी आराम मिलता है और इस उपाय को वास्तव में बेहद उपयोगी पाया गया है। ऐसा करने से दो लाभ हैं। पहला यह कि जब आप प्रोबायोटिक्स लगाते हैं, तो वे बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली की सुरक्षा में मदद करते हैं और स्थिति को और खराब नहीं होने देते। दूसरा यह कि चूंकि इससे त्वचा को बहुत ठंडक मिलती है, तो इससे बच्चा बहुत ही शांत महसूस करता है। यह एक ज्ञात तथ्य है कि प्रोबायोटिक्स शरीर में बुरे जीवाणुओं पर हमला करते हैं। चूंकि यह त्वचा की सतह पर भी लड़ने में मदद करता है, तो मुँहासों की वजह से होने वाली जलन के लिए भी आरामदायक है।
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4स्तनपान करवाएं और प्रोबायोटिक्स दें
यदि आपका बच्चा 6 महीने से छोटा है तो आपके पास उसे स्तनपान करवाना ही एकमात्र विकल्प है और आपको यह सुनिश्चित करना होता है कि आप उसे स्तनपान पूरी तरह से करवा रहें हैं। यह आपके बच्चे के पेट में अच्छे जीवाणुओं को विकसित करने में मदद करेगा जिससे उसका शरीर बुरे बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम होगा। यह कहने में कोई बुराई नहीं है कि प्रोबायोटिक्स को माँ के आहार में भी जोड़ा जाना चाहिए, ताकि स्तन का दूध अच्छे बैक्टीरिया से भरा हो, फिर चाहे बच्चा उसे स्तनपान के रूप में ले या फिर कोलोस्ट्रोमस के रूप में।
यदि आपका बच्चा 6 महीने से ज्यादा उम्र का है, तो प्रोबायोटिक्स देने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें कि क्या उसे प्रोबायोटिक्स दिया जा सकता है या नहीं। अगर आपको प्रोबायोटिक्स देना पड़े, तो जरुरी नहीं है कि आपको बाज़ार से खरीदकर ही देना है।
हमारे घरों में सर्वश्रेष्ठ प्रोबायोटिक्स पहले से ही दही के रूप में उपलब्ध है। इसे नियमित रूप से दिए जाने पर, इससे मिलने वाले लाभ हैरान करने वाले होते हैं। इससे बच्चे को न केवल एसिड रिफ्लक्स, एलर्जी जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है, बल्कि यह दस्त जैसी खतरनाक समस्या के लिए भी बहुत मददगार हो सकता है। आप चाहे उसे प्रोबायोटिक किसी भी रूप में दें, लेकिन देने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ से ज़रूर परामर्श करें।
क्या आपके बच्चे को भी मुँहासे है? इनको ठीक करने के लिए आप क्या करती हैं। इस विषय में अपने सुझाव या अनुभव हमसे जरूर बांटें।
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