
एक माता पिता होने के नाते आप हमेशा उन चीज़ों का इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं जो शिशु की बेहतर देखभाल कर पाने के लिए आपका समय बचाती हैं । ऐसे में जब बात शिशु के भोजन को गर्म करने की आती है, तो माइक्रोवेव का इस्तेमाल सबसे पहले दिमाग में आता है। जहाँ कुछ माता-पिता न केवल शिशु को दिए जाने वाले ठोस या अर्ध-ठोस आहार को गर्म करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं, बल्कि दूध भी इसी में गर्म करते हैं। वहीं कुछ माता-पिता ऐसा करने के खिलाफ हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि शिशु को दिए जाने वाले आहार के लिए माइक्रोवेव का उपयोग कितना सही है? अगर आप भी शिशु को दिए जाने वाले आहार के लिए माइक्रोवेव का उपयोग करते हैं, तो आपको हमारा यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिए।
जरूर पढ़े – 7 उपाय जिनसे बच्चे की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाया जा सकता है
हम जानते हैं कि माइक्रोवेव प्रणाली में भोजन को गर्म करने के लिए भोजन में से विद्युत चुम्बकीय तरंगों अर्थात इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स को गुजारा जाता है। वास्तव में, माइक्रोवेव से मिलने वाली सुविधा के कारण, हम आम तौर पर इन तरंगों का हमारे शिशु के स्वास्थ पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को अनदेखा कर देते हैं। पर अगर आप इन तरंगों के खतरों को जान लेंगे, तो हमें यकीन है कि आप कभी भी माइक्रोवेव का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
- यह एक सामान्य धारणा है कि माइक्रोवेव्स से निकलने वाली तरंगे कैंसर का कारण बन सकती हैं। हमारे हिसाब से यह एक कारन माइक्रोवेव इस्तेमाल न करने के लिए एक पर्याप्त कारण है। आप सोच रहे होंगे कि आप तो माइक्रोवेव का उपयोग बहुत कम करते हैं, ऐसे में आपके शिशु को इन तरंगो से कोई खतरा नहीं होगा। लेकिन, आपकी जानकारी के लिए हम बताना चाहेंगे कि छोटी मात्रा में ही सही, लेकिन नियमित तौर पर होने वाली विषाक्तता भी शरीर को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करने की क्षमता रखती है।
- माइक्रोवेव का इस्तेमाल करने से भोजन या पेय में उपस्थित सभी पोषक तत्व और यौगिक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार रेडिएशन की वजह से इओनिज़शन (ionization) होता है। आसान शब्दों में कहा जाए, तो माइक्रोवेव भोजन की आणविक संरचना तक बदल देता है। ये रेडिएशन भोजन में मौजूद विटामिन और खनिजों को और नुकसान पहुंचाते हैं या कहा जाए, नष्ट ही कर देते हैं। एक अन्य अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि “माइक्रोवेव भोजन के पोषक तत्वों को बदलते हैं जिससे उपभोक्ता के रक्त में बदलाव हो सकता है, जो शारीरिक प्रणालियों को नुकसान पहुंचाता है।”
- आपकी जानकारी के लिए हम बताना चाहेंगे कि माँ के दूध को गर्म करने की आवश्यकता नहीं होती, अगर आप इसे बाद में इस्तेमाल के लिए फ्रिज रखते हैं। लेकिन, इसके बाद भी अगर आप माँ के दूध को माइक्रोवेव करते हैं, तो दूध में उपस्थित एंटीबॉडी का स्तर घटने की पूरी आशंकाएं होती हैं। स्तन के दूध में पाए जाने वाले यह एंटीबॉडी, बच्चे को सभी संक्रमणों से दूर रखते हैं।
- भोजन को माइक्रोवेव करने से भोजन में मौजूद फ्लेवोनॉयड के स्तर में 97% और सिनापिक अम्ल में भी गिरावट आती है। फ्लेवोनॉयड को इसमें मौजूद जलन विरोधी, कैंसर विरोधी और माइक्रोबियल विरोधी गुणों के लिए जाना जाता है, जबकि सिनापिक एसिड डेरिवेटिव शरीर में मौजूद उन कणों को, जो कैंसर पैदा करते हैं, निष्क्रिय करने के लिए जाना जाता है।
- भोजन को माइक्रोवेव करने से, आप स्तन के दूध में विटामिन बी 12 के स्तर और बैक्टीरिया-पाचन एंजाइमों को कम करने का जोखिम बढ़ाते हैं। जहां बी12 लाल रक्त कोशिकाओं के गठन, एनीमिया की रोकथाम और एक स्वस्थ तंत्रिका तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, वहीं स्तन के दूध में मौजूद एंजाइमों से बच्चों को एक स्वस्थ पाचन विकसित करने और पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद मिलती है।
भोजन को माइक्रोवेव करने से भी ज़्यादा खतरनाक होता है, शिशु के आहार के लिए प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल करना। वैसे भी, हम सब जानते हैं कि प्लास्टिक पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा रहा है। जहाँ तक बात भोजन को माइक्रोवेव में गर्म करने की है, तो प्लास्टिक के बर्तनों के इस्तेमाल से खतरनाक कुछ भी नहीं है।
हमारी राय में, बच्चे की दूध की बोतल को माइक्रोवेव में गर्म करने का ख्याल भी छोड़ देना चाहिए।
बिस्फेनोल ए नाम का एक रासायनिक विष तंत्रिका और प्रजनन के विकास में नकारात्मक प्रभाव का कारण माना जाता है। यहां तक कि कुछ ब्रांडेड बेबी बोतलों में भी यह रासायनिक पाया जाता है। इस रसायन के शरीर के सम्पर्क में आने का मतलब है कैंसर, समय से पूर्व यौवन, मोटापा और यहां तक कि मधुमेह भी।
जरूर पढ़े – 6-8 महीने के शिशुओं के लिए घर में बनाए जाने वाले आहारों के बारे में
यद्यपि इन तरंगे छोड़ने वाले उपकरणों के इस्तेमाल को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता क्योंकि अपने दैनिक जीवन में रूपों जैसे कि टीवी, लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल इत्यादि, में इनका इस्तेमाल करते हैं। पर, फिर भी सुविधा के हिसाब से हम इनके इस्तेमाल को कम कर दें।
अगर आपका भी कोई प्रश्न हो, तो हमारे विशेषज्ञ से पूछें।
अंत में हम यही कहेंगे कि माइक्रोवेव पर खाना पकाने या गर्म करने में लगने वाले एक मिनट को बचाने से बेहतर है, स्टोव पर 5 मिनट लगाकर यही काम कर लिया जाए। आख़िरकार, बच्चे की सेहत से ज्यादा जरूरी कुछ नहीं है। 3-4 मिनट से आपकी दिनचर्या में कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, लेकिन बच्चे के स्वास्थ पर आप अवश्य फर्क देख पाएंगे।
क्या यह सब जानने के बाद भी आप माइक्रोवेव का इस्तेमाल करेंगे या फिर माइक्रोवेव में भोजन को गर्म करने के विचार को त्याग देंगे? इस विषय में आपके क्या अनुभव हैं, हमें जरूर बताएं।
Do you need more help?
क्या आपको और मदद चाहिए?
- Write a Comment
- Write a Review
- Ask a Question
Be kind to others. False language, promotions, personal attacks, and spam will be removed.Ask questions if any, by visiting Ask a Question section.
दूसरों के प्रति उदार रहें, अभद्र भाषा का प्रयोग ना करें और किसी भी तरह का प्रचार ना करें।
यदि कोई प्रश्न हो तो, अपना प्रश्न पूछें सेक्शन पर जाएं।
सबसे पहले अपना अनुभव बाँटे।



