
शिशुओं की शौच को लेकर भी माता-पिता को अक्सर दुविधा रहती है। जहाँ कुछ बच्चे एक दिन में दो से अधिक बार शौच कर लेते हैं , वहीं दूसरी ओर कुछ बच्चे पांच दिन में एक बार शौच करते हैं, और उनको कोई समस्या नहीं होती। अगर आपका बच्चा पांच दिन में एक ही बार शौच करता है, तो इसका यह अर्थ कभी भी नहीं है कि उसको कब्ज़ है। बच्चों में कब्ज़ एक ऐसी समस्या है, जिसका सामना तकरीबन हर माँ-बाप करते हैं, फिर चाहे उनका बच्चा कुछ महीनों का हो, या कुछ सालों का। आइए आज हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि बच्चों को कब्ज़ क्यों होती है और इसके कौन-कौन से लक्षण हैं।
1फार्मूला दूध
जिन बच्चों को फार्मूला दूध दिया जाता है, उनको कब्ज़ की शिकायत आमतौर पर ही रहती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्तनपान आसानी से पच जाता है, जबकि फार्मूला दूध को पचा पाना शिशु के लिए आसान नहीं होता अर्थात समय लगता है। ऐसा भी आमतौर पर देखा जाता है कि जब आप बच्चे को स्तनपान से फार्मूला पर लेकर आतें हैं, तो उसका शरीर फार्मूला दूध को पचा पाने के अनुकूल होने में कुछ समय लेता है, जिससे कब्ज़ हो जाती है।
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2गाए का दूध
बहुत से माता-पिता यह नहीं जानते कि गाए का दूध बच्चे के पेट को खराब करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गाए के दूध में अधिक मात्रा में प्रोटीन होता है, जिसको पचा पाना शिशु के लिए आसान नहीं होता। इससे भी दुखद बात यह है कि अगर आपके बच्चे को इस दूध से एलर्जी हुई, तो उसका शरीर लिए गाए के दूध को पचा ही नहीं पाएगा, जिससे यकीनी तौर पर उससे कब्ज़ होगी।
मैंने खुद भी अपने शिशु को गाए का दूध देने की गलती की थी। जब मैंने फार्मूला मिल्क और स्तनपान की जगह अपने शिशु को गाए का दूध दिया, तो मुझे याद है कि 2 दिन तक उसकी शौच कब्ज़ की वजह (सख्त होने के कारण) निकल नहीं पाई थी। इससे न सिर्फ उसको पेट में दर्द उठा, बल्कि जब शौच आई, तो उसे बहुत दर्द हुआ। उस वक़्त मैंने महसूस किया कि गाए का दूध देकर मैंने कितनी बड़ी गलती की थी।
3ठोस आहार
इस बात की पूरी सम्भावना है कि अगर आपने हाल ही में अपने शिशु को ठोस आहार देना शुरू किया है, तो उसे कब्ज़ की शिकयत हो सकती है। सेब, केला या सेरेलक जैसे चीज़े ज़्यादा देने से भी शिशु का पेट खराब हो सकता है। अगर आपका बच्चा इन आहारों को खुश हो कर स्वीकार करता है, तो यह बहुत अच्छा है। परन्तु, क्योंकि उसकी पाचन क्रिया अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुई है, तो आपको इनकी मात्रा के बारे में थोड़ा सचेत रहना होता है।
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4माँ के द्वारा लिया जाने वाला आहार
मुझे विश्वास है कि आपकी माता या सास ने आपको कई बार सलाह दी होगी कि स्तनपान के दौरान अपने भोजन पर ही खास ध्यान देने की ज़रूरत होती है। अगर आप कुछ भी गलत खाती हैं, तो इसका सीधा असर आपके शिशु पर पड़ता है।
मैं ऐसा निजी अनुभव से कह रही हूँ। जब भी मैं दिन में दो या दो से अधिक बार गाए का दूध पीती हूँ, तो उससे अगले दिन मेरे शिशु को कब्ज़ की शिकायत हो जाती है।
आइए अब हम कब्ज़ के कुछ संकेतों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं
- जब आपके बच्चे को कब्ज होती है, तो वह भोजन या दूध पीने से इंकार करने लगता है।
- उसका पेट सख्त हो जाता है और उसको छूने से उसे तकलीफ होती है।
- ऐसे में अक्सर देखा गया है कि कब्ज़ से परेशान बच्चा वहाँ अपनी पैरों की उंगलियों पर चलने लगता है क्योंकि उसे लगता है कि ऐसा करने से उसकी शौच बाहर नहीं आएगी।
- उसकी दो शौचों के बीच का अंतराल भी बढ़ जाएगा। लेकिन यहाँ भी , अगर आपका बच्चा 3 से 5 दिनों में एक बार शौच करता है, तो यह सामान्य है। लेकिन अगर यह अंतराल बढ़ जाता है, तो बाल रोग विशेषज्ञ के हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ सकती है।
- जब भी आपका बच्चा शौच करने की कोशिश करता है, तो उसका चेहरा तनावपूर्ण और तनाव से लाल हो जाता है।
- वह शौच करते समय निश्चित तौर पर रोता एवं परेशान होता है।
- आपका बच्चा जितनी बार पहले गैस निकाल पाता था, कब्ज के दौरान उतनी बार बाहर नहीं निकाल पाता ।
यह इस बात का खास ध्यान रखें कि भले ही जिन बच्चों को ठोस आहार नहीं दिया जा रहा होता अर्थात तरल आहार ही दिया जा रहा होता है, उनको कब्ज़ जैसी शिकायत की आशंकाएं कम होती है। फिर भी, इन संकेतों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
क्या आपके बच्चे को भी कब्ज़ का सामना करना पड़ा था? क्या आपके बच्चे में कब्ज़ का कोई और कारण था? आपके बच्चे ने कब्ज़ के कौन से संकेत दिए थे और आपने उसकी कब्ज़ को ठीक करने के लिए कौन से उपाय किए थे? कृपया हमारे पाठकों से इस विषय में अपनी जानकारी ज़रूर बांटें।
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