
जब एक शिशु को जन्म देने की बात आती है, तो माताएं नार्मल डिलीवरी के नाम से डर जाती हैं। ज्यादातर माताएं, नार्मल डिलीवरी की जगह, सिजेरियन डिलीवरी करवाने की पक्ष में होती हैं। उन्हें लगता है कि बच्चे को दुनिया में लाने के लिए सिजेरियन डिलीवरी एक आसान, आरामदायक, सुरक्षित और कम दर्दनाक तरीका है। अगर आप भी ऐसा ही मानती हैं, तो आप गलत है। सिजेरियन डिलीवरी करवाने से पहले आपको इससे जुड़े दुष्प्रभावों के बारे में जान लेना चाहिए। इस लेख में हम आपको, सिजेरियन डिलीवरी से जुड़े 11 दुष्प्रभावों के बारे में बताएंगे।
1सिजेरियन सर्जरी एक प्रमुख सर्जरी है
बहुत से लोग मानते हैं कि सिजेरियन सर्जरी कोई ज्यादा बड़ा ऑपरेशन नहीं है। लेकिन, ऐसा नहीं है। सिजेरियन डिलीवरी को पेट की एक प्रमुख सर्जरी ही माना जाता है। इस सर्जरी से पहले आपको एनेस्थीसिया दिया जाता है। यह एनेस्थीसिया पेट में लगाए जाने वाले चीरे से होने वाली सामान्य (रीढ़ की हड्डी) या स्थानीय (एपिड्यूरल) पीड़ा को दूर करने में मदद करता है।
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आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि यह चीरा आमतौर पर 10-20 सेमी लंबा होता है। जन्म के बाद पहले 12 घंटों के लिए, आपको पेशाब करने में मदद करने के लिए एक कैथेटर लगाया जाता है और चीरे की वजह से होने वाले घाव को कम-से-कम 24 घंटे तक बांधा जाता है। कई बार, इसे ज्यादा समय के लिए भी बाँधा जाता है।
2माँ की मृत्यु दर अधिक है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, सिजेरियन डिलीवरी में माँ की मृत्यु दर नार्मल डिलीवरी से पांच गुना अधिक है। सिजेरियन डिलीवरी में कई बार ऐसे हालातों का सामना करना पड़ता है, जहां डॉक्टरों को बच्चे को निकालने में गंभीर समस्या का सामना पड़ता है। कई बार यह नुकसान इतना गंभीर होता है कि कुछ महिलाएं पुनः माँ बनने की क्षमता भी खो बैठती हैं।
3संक्रमण और असामान्य रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है
लगभग 12 महिलाओं में से एक को सिजेरियन सर्जरी के बाद संक्रमण हो ही जाता है। इसलिए, आपको सर्जरी से पहले, इस संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए एंटीबायोटिक दी जाती है। आपके घाव संक्रमित न हो, इसके लिए आपको निजी तौर पर भी अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है।
मवाद, संक्रमण या असामान्य रूप से गंभीर रक्तस्राव के किसी भी संकेत को नजरअंदाज न करें क्योंकि यह सिजेरियन डिलीवरी सर्जरी के अवांछनीय परिणाम हो सकते हैं। यह जटिलताएं, सर्जरी के बाद रिकवरी/वसूली को अधिक कठिन बना देते हैं।
4रक्त का थक्का बनने की अधिक संभावना
आप जानते ही होंगे कि सर्जरी चाहे कैसे भी हो, पर यह रक्त के थक्के को विकसित करने के अवसरों को बढ़ा देती है। अब अगर यह थक्का आपके फेफड़ों में हो जाए, तो यह आपके जीवन को खतरे में डाल सकता है।
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इसलिए यदि आपको सिजेरियन डिलीवरी के बाद खांसी या सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें। इलाज के रूप में, डॉक्टर, आपको रक्त पतला करने वाली दवाओं की सिफारिश कर सकता है। यह दवाएं न केवल आपके परिसंचरण में मदद, बल्कि थक्के के जोखिम को भी कम करती हैं।
5सिजेरियन ऑपरेशन के बाद रिकवरी में समय लगता है
सिजेरियन डिलीवरी के चलते, माँ और बच्चे को अधिक समय के लिए अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। किसी भी बड़ी सर्जरी की तरह, आपको अपनी पुरानी दिनचर्या पर लौटने से पहले खुद को पूरी तरह से फिट करने में काफी समय लगता है।
सर्जरी के बाद पहले कुछ दिनों में आपको अपने घाव में दर्द महसूस होगा और सर्जरी के कम-से-कम एक सप्ताह तक आपको पेट में असुविधा भी हो सकती है। औसतन, दस महिलाओं में से एक महिला को सर्जरी के कई महीनों बाद भी इस परेशानी का सामना करना पड़ता है।
जो महिलाएं शिशु को जन्म देने के लिए सिजेरियन डिलीवरी का चयन करती हैं, उनको नार्मल डिलीवरी वाली महिलाओं की तुलना में 3 से 5 दिन ज्यादा तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। सिजेरियन सर्जरी के बाद माँ और बच्चे दोनों को अवलोकन के तहत अस्पताल में रहना जरूरी हो जाता है। ऐसे में, सर्जरी के कारण अगर आपको कुछ अन्य जटिलताओं का सामना करना पड़ता है, तो आपातकालीन देखभाल में भी रहना पड़ सकता है।
नार्मल डिलीवर में, जहाँ एक महिला 1 से 2 सप्ताह में फिट हो जाती है, वहीं सिजेरियन डिलीवरी में पूरी तरह से स्वस्थ होने में 4 से 6 सप्ताह लग जाते हैं।
6सिजेरियन सर्जरी के कारण भविष्य में गर्भधारण संबंधी मुश्किलें बढ़ जाती हैं
यदि आप सिजेरियन सर्जरी का विकल्प चुनती हैं, तो आपको भविष्य में गर्भधारण से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इनमें गर्भाशय का टूटना या प्लेसेंटा प्रिविया जैसे जटिलताएं शामिल हैं। खासकर अगर आपके पहले दो या अधिक सिजेरियन हो चुके हैं।
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इस जटिलता के परिणामस्वरूप डिलीवरी के समय बड़ी मात्रा में रक्त हानि हो सकती है। सिजेरियन सर्जरी की वजह से होने वाली जटिलताओं से जुड़े कई ऐसे अन्य कारण हैं, जिनकी वजह से मृत बच्चे को जन्म देने की संभावना भी बढ़ जाती है।
7सिजेरियन सर्जरी के बाद नार्मल डिलीवरी की संभावनाए कम हो जाती है
एक बार सिजेरियन सर्जरी होने पर पुनः नार्मल डिलीवरी कई बातों पर निर्भर करती है। मुख्य तौर पर यह इस बात पर निर्भर करती है कि आपने पहली बार सिजेरियन सर्जरी को क्यों चुना था। यदि आपने पहली बार, सिजेरियन सर्जरी को अपने स्वास्थ्य या मेडिकल कारणों की वजह से चुना था, तो आपको दुबारा सिजेरियन सर्जरी से ही गुजरना होगा। एक बार सिजेरियन सर्जरी के बाद आप नार्मल डिलीवरी कर सकते हैं या नहीं, यह नीचे दी गई बातों पर निर्भर करता है –
- पहले कितनी बार सिजेरियन हो चूका है?
- पिछली बार सिजेरियन सर्जरी के लिए किस प्रकार का चीरा दिया गया था?
- आप की मौजूदा मेडिकल और स्वास्थ्य संबंधी स्थिति क्या है?
8सिजेरियन सर्जरी से बच्चे की जन्म के तुरंत बाद सांस लेने की क्षमता प्रभावित हो सकती है
सिजेरियन सर्जरी, न केवल माँ, बल्कि बच्चे के लिए भी एक दर्दनाक अनुभव हो सकता है। सिजेरियन सर्जरी की वजह से बच्चे का जन्म बहुत तेजी से होता है। नॉर्मल डिलीवरी के मुकाबले, सिजेरियन डिलीवरी में बच्चा जन्म देने वाली नलिका से होकर पैदा नहीं होता। इससे वह सिकुड़ता नहीं है और उसे जन्म के तुरंत बाद श्वास की समस्याएं हो सकती हैं।
प्राकृतिक रूप से जन्म लेने वाले शिशुओं की तुलना में सिजेरियन शिशुओं को आमतौर पर जन्म के बाद सांस लेने में थोड़ी मदद की आवश्यकता होती है। इसलिए, सिजेरियन सर्जरी के समय एक नियोनेटोलॉजिस्ट बाल रोग विशेषज्ञ भी वहीं मौजूद होता है। यदि आपके बच्चे का जन्म समय से पहले और सिजेरियन सर्जरी से हुआ है, तो उसे सांस लेने में समस्या होने की संभावना अधिक होती है।
9सर्जिकल उपकरणों से बच्चा घायल हो सकता है
सिजेरियन सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले सर्जिकल उपकरणों से बच्चा घायल हो सकता है और जन्म के दौरान अवांछित दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं। शल्य चिकित्सा उपकरणों को सर्जरी के बाद जब गर्भाशय से हटाया जाता है, तो 100 में से एक बच्चा दुर्घटनावश घायल हो ही जाता है। जहां कुछ घाव बिना किसी नुकसान के ठीक हो जाते हैं, वहीं कुछ ऐसे होते हैं जो जीवन भर के लिए निशान बन जाते हैं।
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10सिजेरियन डिलीवरी के बाद स्तनपान करवाना अधिक कठिन होता है
सिजेरियन डिलीवरी के बाद स्तनपान करवाना अधिक कठिन होता है और अगर आप स्तनपान करवाना करवाना चाहते हैं, तो आपको किसी दाई या नर्स की आवश्यकता हो सकती है। सिजेरियन डिलीवरी के कारण आपको सामान्य कामों, जैसे कि बच्चे को दूध पिलाने के लिए खुद सही स्थिति में बैठने और बच्चे को सही स्थिति में बिठाने, में भी किसी से मदद लेनी पड़ती है।
11सिजेरियन डिलीवरी से पैदा हुए बच्चों में कई प्रकार की मेडिकल समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है
कई दशकों के शोध के बाद एकत्रित किए गए आंकड़ों से पता चला है कि सिजेरियन डिलीवरी से पैदा हुए बच्चों को कई प्रकार की मेडिकल समस्याओं जैसे अस्थमा, किशोर गठिया और प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ी तकलीफों से भी गुजरना पड़ सकता है। शायद इसलिए, आज भी डॉक्टरों द्वारा सिजेरियन डिलीवरी को प्रथम विकल्प के रूप में नहीं देखा जाता।
अगर आपका भी कोई प्रश्न हो, तो हमारे विशेषज्ञ से पूछें।
नार्मल डिलीवरी या सिजेरियन डिलीवरी, दोनों में से बेहतर क्या है, इस विषय में यदि आप अंतिम समय से पहले अपने डॉक्टर से ही चर्चा कर लें, तो ज्यादा बढ़िया रहेगा। आपका डॉक्टर आपकी शारीरिक एवं मेडिकल स्थिति को देखते हुए, आपको सही निर्णय लेने में मदद कर सकता है।
लेकिन, हमारा सुझाव है कि यदि आप पूरी तरह से फिट हैं, तो आपको खुद को नार्मल डिलीवरी के लिए (मानसिक एवं शारीरिक रूप से) पहले से ही तैयार रहना चाहिए।
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