
हम आशा करते हैं कि आपने अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स के बारे में हमारा पिछला लेख अवश्य पढ़ें, जिसमें हमने आपको बताया था कि यदि समय रहते अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स का इलाज न किया जाए, तो यह बहुत ही गंभीर समस्या का रूप ले सकता है। लेकिन, यह बहुत ही दुर्लभ स्थिति होती है और आपके डॉक्टर को ऐसी स्थिति बनने से पहले ही इसका पता चल जाता है और इस वजह से वह सही समय पर आपको सही इलाज दे पाने में सक्षम होता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स की पहचान और इलाज कैसा किया जाता है।
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अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स की संभावना को कैसे पहचाना जाता है?
- अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स होने की किसी भी संभावना की पुष्टि के लिए डॉक्टर सबसे पहले गर्भवती महिला की मेडिकल हिस्ट्री जांचता है। वह यह जांचता है कि कहीं उस गर्भवती महिला को पहले भी अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स जैसी परेशानी से गुजरना तो नहीं पड़ा था अर्थात इस समस्या की कोई मेडिकल हिस्ट्री तो नहीं है। इस बात की पुष्टि के लिए, डॉक्टर गर्भवती महिला का शारीरक परिक्षण भी करता है।
- प्रसूतिपूर्व अल्ट्रासाउंड स्कैन विकासशील भ्रूण में किसी भी असामान्यता का पता लगाने में सक्षम होते हैं। गर्भनाल की असामान्य स्थिति, अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स होने की किसी भी संभावना की ओर संकेत करती है।
- कई मामलों में ऐसा भी होता है कि इस समस्या से जुड़े कोई संकेत सामने नहीं आते, लेकिन डिलीवरी के समय भ्रूण की हृदय दर अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स होने की किसी भी संभावना का एक बहुत ही बढ़िया संकेत है। ऐसे में, अगर अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स होता है, तो बच्चे को ब्राडीकार्डिया अर्थात मंदनाड़ी जैसी समस्या हो सकती है, जिसमें भ्रूण की हृदय गति 120 प्रति मिनट से कम तक गिर सकती है।
- डॉक्टर अपनी उंगलियों के साथ गर्भनाल की स्थिति को महसूस कर सकता है और इस परीक्षण को पैल्विक परीक्षा कहा जाता है।
ये बहुत ही सामान्य परीक्षण है, जिनसे अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स होने की किसी भी संभावना का पहले से पता लगाया जा सकता है। इनके साथ ही, कुछ ऐसे वैद्यकीय स्थितियां भी हैं, जो समान लक्षण दिखाती हैं। ऐसे किसी भी संकेत के मिलने पर, ऐसी उम्मीद की जाती है कि आपका डॉक्टर आपको अतिरिक्त परीक्षण सलाह देने में सक्षम हो।
अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स संबंधी उपचार
- यदि अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स की संभावना का डिलीवरी से पहले ही पता लग जाता है, तो डॉक्टर आपको सिजेरियन डिलीवरी के लिए सलाह देगा।
- लेकिन अगर यह बच्चे के जन्म के दौरान पाया जाता है, तो एक आपातकालीन सिजेरियन डिलीवरी के लिए जाना पड़ता है। यदि आपका डॉक्टर एक योनि ऑपरेटिव डिलीवरी के साथ जाता है, तो प्रक्रिया के लिए वैक्यूम या फोरसेप जैसी तकनीकों का उपयोग करेगा।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, आपका डॉक्टर आपको सर्वोत्तम कार्यवाही की सलाह देता है। जैसा हमने पिछले लेख में बताया था कि अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स के समय भ्रूण को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ता है, तो आपका डॉक्टर इस समस्या को भी पहले ही अपने ध्यान में रखता है।
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डिलीवरी में देरी बच्चे और उसके मस्तिष्क के लिए एक अपूरणीय क्षति पहुंचाने वाली हो सकती है। लेकिन, यदि समय पर इस समस्या को पहचान कर इसका उपचार कर लिया जाता है, तो अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स के होने वाली किसी भी स्थायी क्षति से शिशु को बचाया जा सकता है।
ऐसे किसी भी हालत में, बच्चे की डिलीवरी करवा लेना, बच्चे के स्वस्थ के लिए सबसे बेहतर उपाय होता है। ऐसा करने के लिए डॉक्टर द्वारा सबसे तेज़ और सुरक्षित विकल्प, फिर चाहे योनि हो या सिजेरियन, को चुना जाता है।
अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स के मामले इन तकनीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं
- भ्रूण के बाहर आए किसी भी भाग को खुद से ऊपर उठाया जाता है।
- बहुत मामलों में माँ की स्थिति में बदलाव लाया जाता है, जिसमें उसके पैरों को ऊँचा उठाया जाता है और सिर को नीचे रखा जाता है।
- भ्रूण के भाग को ऊपर उठाने के लिए मूत्राशय को फोली कैथेटर या ट्यूब से भी भर दिया जा सकता है।
- मूत्राशय भरने के साथ, टॉलिकटिक्स का उपयोग भी किया जाता है। इसका मतलब है कि प्रसव को दबाने के लिए दवाएं दी जाती हैं।
अगर आपका भी कोई प्रश्न हो, तो हमारे विशेषज्ञ से पूछें।
भले ही अम्बिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स एक जटिल स्थिति है, लेकिन अगर समय पर उपाय किए जाएं, तो इससे मां और बच्चे, दोनों को किसी भी स्थायी क्षति से बचाया जा सकता है। इसलिए, ऐसी किसी भी संभावना को पहले से जानने और उसके लिए सही कदम उठाने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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