Why My Baby is Not Eating Enough
Why My Baby is Not Eating Enough
Photo Credit: pixabay

Shruti Singh

A proud mom to a beautiful little baby girl, learning the art of parenting one day at a time. Experiencing the joys of being a mom for the first time. Excited and anxious about the journey. Takes being a stay-at-home mom as a challenge and there's nothing she would change about it.

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मैं अपनी बेटी के साथ उस चरण तक पहुंच चुकी हूँ, जहां वह हर उस चीज़ पर अपना पूरा नियंत्रण चाहती है, जो वह खाती है। अगर मैं उसे कुछ ऐसा खाने को देती हूँ, जो उसे पसंद नहीं है, ऐसे में, या तो वह चम्मच पकड़ लेती है और जितनी ताकत से उसे खुद से दूर कर सके, करने का प्रयास करती है या फिर अपना मुंह बंद कर लेती है और मुझे उसे कुछ खिला पाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। इसके विपरीत, अगर मैं उसे खुद से खाने के लिए कटोरी एवं चम्मच देती हूं, तो वह खाने की बजाय भोजन को इधर-उधर फेकने और इससे खेलने लगती है। उसके ऐसा करने पर मुझे लगता है कि शायद उसे भूख ही नहीं है। पर, जब आपका बच्चा ऐसा रोज़-रोज़ करने लगे अर्थात जब आपको लगता है कि आपका बच्चा पेट भरकर भोजन नहीं खाता, तो ऐसी स्थिति में आपको बच्चे के इस व्यवहार का कारण जानना ज़रूरी हो जाता है। इस विषय में मैंने अपने स्तर पर कुछ शोध किया है। बच्चों के ऐसा करने के कई कारण हो सकते हैं और उन्हीं में से कुछ कारणों पर हम आज चर्चा करेंगे।

जरूर पढ़े – क्या आपका बच्चा भी खाने-पीने में नखरे करता है?

1अपना पंसदीदा भोजन ही खाने की आदतें

आपको माता-पिता के रूप में समझना होगा कि बच्चे भी हम बड़ों की तरह किसी ख़ास भोजन की ओर ज़्यादा आकर्षित रहते हैं अर्थात वही चीज़ खुश हो कर कहते हैं, जो उन्हें बेहद पसंद होती है। बहुत से बच्चे हर चीज़ को खाना पसंद नहीं करते और यह बहुत ही सामान्य है। ऐसे में, अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा हर चीज़ खाए, तो हर भोजन के साथ प्रयास करें अर्थात नए-नए तरीकों से बनाने की कोशिश करें।

उदाहरण के तौर पर, जब मैं अपनी बेटी को उबली हुई सब्जियां देती हूँ, तो वह इसे खाने में बहुत नखरे करती है। लेकिन अगर मैं इन्ही सब्जियों में घर में बनाई गई सफ़ेद पास्ता सॉस डाल देती हूँ, तो वह बार-बार इसकी मांग करती है। इसके साथ ही, मैं उसे अगर उबली हुई दाल में थोड़ा सा नमक डाल कर देती हूँ, तो वह इसे नहीं खाती। लेकिन अगर, उसे तड़के वाली दाल देती हूँ, तो वह इसे बहुत खुश होकर खाती है। ऐसे प्रयोगों से मैं समझ पाती हूँ कि उसे क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं।

माता-पिता के रूप में, आपको तब तक प्रयास करते रहना होता है, जब तक आप अपने बच्चे की इस आदत को बदल नहीं लेते।

2ध्यान भटकाने वाली चीज़ें

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बच्चे बहुत आसानी से विचलित हो जाते हैं अर्थात कोई छोटी सी हरकत भी उनका ध्यान भटका देती है। ऐसे में आपको चाहिए कि जब आपका बच्चा खाना खा रहा हो, तो उन सब चीज़ों को उससे दूर कर दें, जिनसे उसका ध्यान भटक सकता है। चाहे वह चीज़ उसका पसंदीदा खिलौना हो, आपका मोबाइल फ़ोन हो, या कुछ भी ऐसी चीज़ जिससे बच्चा खाते वक़्त खेलने लगता है, उन सब चीज़ों को (कम-से-कम खाने के वक्त) उसकी आँखों से जितना दूर हो सके, कर दें। आप खाना खिलाते समय जितनी ऐसी ध्यान भटकाने वाली चीज़े उसके समक्ष रखेंगे, आपका बच्चा उतना इन चीज़ों की ओर आकर्षित होगा और खाने पर ध्यान नहीं देगा।

जब भी मेरी बेटी के भोजन का समय होता है, तो मैं उसे खेलने के कमरे से उठा कर दूसरे कमरे में ले जाती हूँ, उसे चटाई इत्यादि पर बिठा कर खाना खिलाती हूँ। यकीन मानिए मैंने यह महसूस किया है कि जब मेरी बेटी के आसपास कोई ऐसा खिलौना न हो, जिससे उसका ध्यान भटके, तो वह बहुत अच्छे एवं संतोषजनक तरीके से खाना खाती है।

3व्यर्थ के स्नैक्स से पेट का भरा होना

एक और चीज़ जिसे हम मुख्य रूप से अनदेखी करते हैं, वह यह है कि भोजन के समय से पहले हल्के-फुल्के स्नैक्स (snacks) से बच्चे के पेट का भरा होना। ये स्नैक्स (snacks) कुछ भी हो सकते हैं, जैसे कि चिप्स, घर पर बनाए गए पकोड़े, कुकीज़, यहाँ तक की फल भी। याद रखें स्नैक्स (snacks) देने का मुख्य मकसद शिशु का पेट भरना नहीं होता, बल्कि उसे अत्यधिक भूखा होने से बचाना होता है।

जरूर पढ़े – 5 ऐसे खाद्य पदार्थ जिनसे बच्चे की इम्युनिटी अर्थात रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है

अगर आपका बच्चा पहले से ही इन स्नैक्स (snacks) को भर-पेट खा चूका है, तो वह भोजन के समय कुछ और खाना नहीं चाहेगा या नहीं खा पाएगा। इसलिए अपने बच्चे को देने वाले स्नैक्स (snacks) की मात्रा पर नजर रखें। सिर्फ ठोस ही नहीं , अगर आप उसे खाने के समय से पहले दूध इत्यादि भी पीने को देते हैं, तो बहुत अधिक संभावना है कि वह खाने का विरोध करेगा।

4जबरदस्ती भोजन न खिलाएं

जैसा मैंने पहले कहा इस उम्र में आपका बच्चा खाने पर खुद का नियंत्रण चाहता है और वही खाता है, जो उसे पसंद होता है। इसका साधारण सा अर्थ यह होता है कि उसके खाने की आदतें काफी हद तक उसके मूड (मनोदशा) पर निर्भर करती हैं। ऐसे में बहुत से माँ-बाप अपने बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में, बच्चे या तो उसे खाने से इंकार कर देते हैं या फिर खाने के बाद उल्टी कर देते हैं।

ऐसी परिस्थितियों में, आपको कभी-कभी बच्चे की भी मान लेनी चाहिए।

यदि आपका बच्चा कभी-कभार नहीं खाना चाहता, तो उसे मजबूर न करें। जब उसे भूख लगेगी, तो वह स्वयं इसके लिए पूछेगा।

यदि बच्चे के खाने की आदतों के बारे में आपका भी कोई प्रश्न हो, तो हमारे विषेशज्ञों से ज़रूर पूछें।

इसलिए, अगर कभी-कभी आपका बच्चा ठीक से भोजन नहीं खाता, तो ज़्यादा चिंतित होने की ज़रूरत नहीं होती। लेकिन साथ ही, अगर आपका बच्चा अक्सर भोजन ठीक से नहीं खाता, तो डॉक्टर से सलाह लेने में देरी न करें क्योंकि अक्सर ऐसा करने के कुछ और कारण भी हो सकते हैं।

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