माता-पिता को बच्चे के मस्तिष्क के विकास में खिलौनों के महत्व के बारे में समझना बहुत ज़रूरी होता है। आमतौर पर जिन खिलौनों को बेकार समझ लिए जाता है, वह शिशु के सम्पूर्ण विकास में बहुत मददगार साबित होते हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि कैसे आप खिलौनों की मदद से अपने बच्चे के दिमागी विकास में सुधर ला सकतें हैं? जी हाँ, आप यह जान कर हैरान होंगे कि खिलौनों की मदद से आप वास्तव में बच्चों के दिमागी विकास को बेहतर कर सकते हैं।
बच्चे के मस्तिष्क के विकास और खिलौनों के बीच के संबंध को समझने के लिए अनेकों अध्ययन किए गए हैं। इन अध्ययनों से पता चला है कि जो बच्चे ज़्यादातर खिलौनों से खेलते हैं, उनका संज्ञानात्मक और मोटर विकास बेहतर होता है।
ऐसा पाया गया है कि जब बच्चों को खिलौनों से खेलने दिया जाता है, तो उनमें खुद से ही चीज़ों को सीख लेने की अद्भुत क्षमता विकसित हो जाती है। इसी कारणवश, जिन खेलों में खिलौने शामिल होते हैं, उन खेलों की बच्चों के सीखने के चरणों को बेहतर बनाने में एक खास भूमिका समझी जाती है।
इस लेख के माध्यम से, मैं कुछ ऐसे ही खिलौनों के बारे में बात करना चाहूंगी, जो न केवल आपके बच्चे की याददाश्त बढ़ाने में सहयोगी हैं, बल्कि उसकी भाषा में सुधार लाने के साथ अन्य कई क्षत्रों की बेहतरी में भी महत्वपूर्ण साबित हो सकतें हैं।
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1एक गेंद के साथ खेलना
सबसे पहले, जब भी आप अपने बच्चे को खेलने के लिए एक गेंद देते हैं, तो सुनिश्चित करें कि वह आकार में बहुत छोटी या बहुत बड़ी न हो और वज़न में भी हल्की हो। एक अच्छे आकार की गेंद से न सिर्फ शिशु द्वारा उसे निगले जाने का खतरा दूर रहता है, साथ ही वह इससे आसानी से खेल भी लेता है।
इसमें कोई आशंका नहीं है कि जब एक शिशु गेंद के साथ खेलता है, तो वह उसे पकड़ नहीं सकता है क्योंकि उसकी पकड़ इतनी मज़बूत नहीं होती। परन्तु आपको गेंद और आँखों के समन्वय पर ध्यान देना है। आपको यह सुनिश्चित करना है कि वह अपनी आंखों के साथ गेंद का पीछा कर रहा है या नहीं?
अध्ययनों से पता चलता है कि जब एक शिशु को खेलने के लिए एक गेंद दी जाती है, तो उसका मस्तिष्क उसके शरीर और नेत्रों के समन्वय के विकास से काम करने लगता है। हालांकि, जब कोई बच्चा गेंद को किक मारता है या उसके पीछे भागता है, तो उसका मस्तिष्क स्थानीय जागरूकता पर काम करता है अर्थात उसका दिमाग यह समझने का प्रयास करता है कि कैसे वस्तुएं एक स्थान से दूसरे स्थान तक अपनी स्थिति बदलती हैं।
2बिल्डिंग ब्लॉक्स
यह एक दूसरा बहुत ही आमतौर पर खेले जाने वाला खेल है। इसमें कोई शक नहीं कि शुरुआत में तो बच्चा इन ब्लॉक्स को घर में चारों और बिखेरेगा। घबराइए नहीं, उसे ऐसा करने दीजिये क्योंकि यहीं से आगे चलकर उसको बहुत फाइदा होने वाला है।
जब एक बच्चा एक पंक्ति में समान आकार के ब्लॉक्स को लगाने का प्रयास करता है, तो वह गणित से जुड़े कुछ कौशल सीख रहा होता है।
आप शायद जानकार हैरान होंगे, पर बच्चे बहुत ही कम उम्र में अवचेतन स्तर पर इतनी सारी चीज़ें सीखना शुरू हो जाते हैं, जो उन्हें आगे चलकर बहुत मदद करती हैं।
इसमें भी कोई आशंका नहीं है कि बच्चा 4 या 5 साल की उम्र के बाद ही ब्लॉक्स को सही ढंग से रख पाना समझ पता है।
इसके अलावा, ब्लॉक्स से खेलते समय वह यह भी समझ जाते हैं कि जो भी चीज़ जितनी ऊपर जाती है, उतना ही नीचे आती है।
3झुनझुने
झुनझुनों को हम बहुत ही मामूली समझ लेते हैं। परन्तु यहीं हम गलती करते हैं।
झुनझुनें बच्चे के संज्ञानात्मक विकास में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। इनके साथ खेलते समय आपका बच्चा चीज़ों पर अपनी पकड़ बनाना सीखता है।
इसके साथ ही अगर यह झुनझुना रंगदार और ध्वनि निकालने वाला हो, तो और भी बेहतर रहता है।
जब बच्चा इससे खेलता है, तो वह न सिर्फ रंगों को समझ पाता है, बल्कि यह भी जान पाता कि कैसे उसे हिलाने पर आवाज़ होती है।
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4भरे हुए खिलौनें
आपको लगता होगा कि रुई या स्पंज से भरे हुए खिलौने केवल घर में जगह घेरने के काम करते हैं। पर आपको जानकार हैरानी होगी कि यह खिलौनें भी बच्चे के संज्ञानात्मक विकास में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं।
क्या कभी आपने देखा है कि कैसे एक बच्चा अपनी गुड़िया के बाल बनाता है या फिर अपने टेडी बेयर को सुलाता है? इस तरह से आपका बच्चा उसके आस पास हो रही चीज़ों को देखकर खुद से दोहराने का प्रयास करता है।
इतना ही नहीं, जब आपका बच्चा इन भरे हुए खिलौनों से खेल रहा होता है, वह न सिर्फ अपनी भावनाओं को व्यक्त करना सीख होता है, बल्कि क्रोध, प्रेम, और आदेश देने जैसी भावनाओं को भी समझ रहा होता है।
आप अपने बच्चे को खेलने के लिए किस तरह के खिलौने देना पसंद करेंगें? क्या कोई ऐसा खास खिलौना है, जिससे आपका बच्चा खेलना पसंद करता है? इन खिलौनों को लेकर हमारे साथ अपने बच्चे के अनुभव ज़रूर साझा करें।
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