बच्चों में कानों के इन्फेक्शन/संक्रमण को रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए

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अगर आपने हमारा बच्चों के कानों में इन्फेक्शन के कारण एवं लक्षणों के बारे में लिखा गया लेख पढ़ा होगा, तो आप अभी तक जान ही गए होंगे कि इस इन्फेक्शन के पीछे कौन-कौन से कारण होते हैं और इन्फेक्शन होने पर बच्चा किस प्रकार के संकेत देता है। इस लेख में, हम आपको बताएँगे कि बच्चों में कानों के इन्फेक्शन को रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए।

1अपने बच्चे के खिलौने की अदला-बदली इन्फेक्शन से पीड़ित बच्चों के खिलौने से न करें

जब भी एक शिशु किसी इन्फेक्शन से पीड़ित शिशु के सम्पर्क में आता है, तो उसे कानों में इन्फेक्शन होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसलिए सबसे पहले आपको यह निश्चित करना बहुत ज़रूरी होता है कि आपका शिशु किसी इन्फेक्शन से पीड़ित बच्चे के सम्पर्क में ना आए। आपको ध्यान रखना है कि आपके बच्चे के खिलौने की अदला-बदली इन्फेक्शन से पीड़ित बच्चों के खिलौने से न हो। यह एक बहुत ही आसान सा उपाय है।

ज़रूर पढ़े – बच्चों के कान में इन्फेक्शन के कारण एवं लक्षणों के बारे में

2अधिक से अधिक स्तनपान करवाएं

यह कहा जाता है कि स्तनपान करवाए जाने वाले बच्चों को कानों में इन्फेक्शन की आशंका बहुत ही कम होती है। इसका प्रमुख कारण यही होता है कि शिशु को सीधा पीठ के बल लिटा कर स्तनपान नहीं करवाया जा सकता। इसके विपरीत जब इसी स्थिति में शिशु को बोतल से दूध दिया जाता है, तो इस बात की पूरी संभावनाएं होती हैं कि यह तरल पदार्थ उसकी यूस्टेचियन ट्यूब में इकठ्ठा होने लगता है और इसी कारण उनके कानों में इन्फेक्शन हो जाता है। इसलिए, अगली बार जब आप शिशु को बोतल में दूध दें, तो इस बात को निश्चित कर लें कि उसका सिर सामान्य से ऊँचा हो और ऐसा करने के लिए आप उसके सिर के नीचे तकिया इत्यादि रख सकते हैं।

3पैसिव स्मोकिंग या निष्क्रिय धूम्रपान से अपने शिशु को दूर रखें

हम सब जानते हैं कि धूम्रपान का प्रभाव सिर्फ धूम्रपान करने वाले पर ही नहीं, बल्कि धूम्रपान के समय उसके आसपास खड़े लोगों की सेहत पर भी पड़ता है। इसे पैसिव स्मोकिंग या निष्क्रिय धूम्रपान के नाम से जाना जाता है। निष्क्रिय धूम्रपान के प्रभाव में आने वाले बच्चों की श्लेष्मिक कला या श्लेष्मल झिल्ली और इनके छोटे-छोटे बालों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। इससे कानों में इन्फेक्शन होने की संभावनाएं और अधिक बढ़ जाती हैं। इसलिए, सुनिश्चित करें कि आपका शिशु निष्क्रिय धूम्रपान के प्रभाव में न आए।

4चुसनी का इस्तेमाल कम-से-कम हो

जहाँ तक संभव हो, चुसनी के इस्तेमाल को नियमित कर दें। कई शोधकर्ताओं के अनेकों सर्वेक्षणों के बाद इस बात की पुष्टि हुई है कि जिन बच्चों को चुसनी बहुत कम या न के बराबर ही दी गई थी, उनके कानों में इन्फेक्शन के मामले, चुसनी के आदी रहे बच्चों की तुलना में एक-तिहाई से भी कम थे। आसान शब्दों में कहा जाए, तो बच्चों को चुसनी का इस्तेमाल कम-से-कम करने दें। ऐसा करके आप बच्चों में कानों के इन्फेक्शन होने की संभावनाओं को कम कर सकते हैं।

ज़रूर पढ़े – हाथ की मदद से माँ का दूध कैसे निकाला जाता है

5टीकाकरण समय पर करवाएं

अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे को कानों में इन्फेक्शन जैसी पीड़ाजनक समस्या से न गुज़रना पड़े, तो टीकाकरण के मामले में कोई लापरवाही न बरतें। सामान्य रूप से दिए जाने वाले न्यूमोकोकल (Pneumococcal) एवं प्रीनेवर (Prevnar) नाम की औषधि के टीके शिशु को सात तरह के अलग-अलग इन्फेक्शन से बचाते हैं। इतना ही नहीं, इस औषधि के टीके शिशु को बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस अर्थात मस्तिष्क ज़्वर (दिमागी बुखार) से संबंधित बैक्टीरिया से भी सुरक्षित रखते हैं।

6अपने शिशु को कान खुजाने से दूर रखें

कानों में इन्फेक्शन होने पर शिशु बहुत ही चिड़चिड़ा हो जाता है और बार-बार कानों को खींचने और खुजाने लगता है। शिशुओं के मामले में , वह इस बात से अनजान होते हैं कि जब कान में इन्फेक्शन हो, तो उनको अपने कान को बार-बार छूने,खुजाने, और खींचने से परहेज़ करना होता है। परेशानी में, वह बार-बार यह गलती करते रहते हैं और इससे उनका इन्फेक्शन बढ़ता रहता है। ऐसे में , आपको यह सुनिश्चित करना होता है कि आपका शिशु यह गलती न करे।

अगर आपका भी कोई प्रश्न हो, तो हमारे विशेषज्ञ से पूछें।

बच्चों में कानों के इन्फेक्शन को रोकने के लिए किए जाने वाले इन उपचारों के अलावा, अगर आपके शिशु को यह इन्फेक्शन हो जाए, तो आपको सुनिश्चित करना होता है कि आपका शिशु पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करे और निर्धारित घंटों के लिए सोए। अगर आपने अपने शिशु की देखभाल के लिए किसी को नियुक्त किया है, तो उस व्यक्ति की स्वछता को भी नज़रअंदाज़ न करें। ऐसा करने से, न केवल आपका शिशु ऐसे किसी भी इन्फेक्शन से दूर रहेगा, बल्कि भविष्य में किसी भी स्वछता से जुड़े इन्फेक्शन से सुरक्षित रहेगा।

क्या आपके शिशु को भी कभी कानों में इन्फेक्शन हुआ था? ऐसे में, अपने शिशु की बेहतरी के लिए आपने क्या किया था? इस विषय में अपने अनुभव हमसे ज़रूर बांटें। अगर आपके कोई सुझाव या प्रश्न हों, तो हमसे ज़रूर बांटें।

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