बच्चों के पेट में कीड़े – कारण, लक्षण, पुष्टि, इलाज और घेरलू सावधानियां

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Worms In Stomach – Reasons, Symptoms, Diagnosis, Treatments And Home Safety Measure For Intestine Parasites
Worms In Stomach – Reasons, Symptoms, Diagnosis, Treatments And Home Safety Measure For Intestine Parasites
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पेट में कीड़े, एक ऐसी समस्या है, जिससे तकरीबन हर दूसरा बच्चा प्रभावित है। आमतौर पर इस बीमारी के पीछे स्वच्छता के प्रति बरती गई लापरवाही ही होती है। लेकिन, माँ-बाप की लाख कोशिशों के बाद भी जब बच्चे स्कूल या डे-केयर इत्यादि में जाना शुरू करते हैं, तो उनके इस बीमारी से ग्रस्त होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इस लेख के माध्यम से, हम आंत में कीड़े होने के कारण, लक्षण, निदान, इलाज और घेरलू सावधानियां के बारे में चर्चा करेंगे।

ज़रूर पढ़े – बच्चों के कान में इन्फेक्शन के कारण एवं लक्षणों के बारे में

1पेट में कीड़े होने के कारण

इस बीमारी से ग्रस्त होने के सबसे प्रमुख और आम कारण इस प्रकार हैं-

  • कीड़ों या उनके अंडों से दूषित पानी अथवा ज़मीन के सीधे संपर्क में आने से।
  • दूषित हाथों का मुंह के संपर्क में आने से संक्रमणीय होने से।
  • गंदे स्विमिंग पूल, तालाब, झरने इत्यादि के सम्पर्क में आने से।
  • कच्चे या आधे पके भोजन, खासतौर पर मांस खाने से।
  • संक्रमित फलों या सब्जियों की खपत से।
  • जिस व्यक्ति को कीड़ों की बीमारी हो, उसके प्रत्यक्ष संपर्क में आने से।
  • गंदी और दूषित जगह में रहने से।
  • खराब स्वच्छता और सफाई समस्याओं वाले स्थानों पर लगातार यात्रा से।

2पेट में कीड़े होने के संकेत और संभावित खतरे

पेट में कीड़े होने के संकेत और संभावित खतरे कीड़ों की प्रजाति पर काफी हद तक निर्भर करते हैं। वास्तव में, इन कीड़ों के 6 प्रकार हैं। सब के संकेत और संभावित खतरे अलग-अलग हैं। कई मामलों में यह संकेत पता भी नहीं चलते। लेकिन, कुछ ऐसे संकेत हैं, जो इन सब मामलों में देखे जा सकते हैं, जैसे कि

  • उदर दर्द जो कि आमतौर पर नाभि के आसपास
  • विकास और विकास से जुड़ी समस्याएं
  • प्रभावित प्रतिरक्षा प्रणाली
  • कुपोषण
  • पेट में दर्द
  • वजन घटना
  • चिड़चिड़ापन
  • जी मिचलाना और/ या उल्टी
  • खुजली के कारण नींद की समस्याएं
  • तब तक खाँसी करना जब तक कि उल्टी न हो
  • शौच की जगह के चारों ओर खुजली या दर्द

ज़रूर पढ़े – बच्चों में कानों के इन्फेक्शन को रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए

3पेट में कीड़े होने की पुष्टि कैसे होती है

पेट में कीड़े होने की समस्या को बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए क्योंकि अनुपचारित छोड़े जाने पर यह बहुत गंभीर रूप ले सकती है और आंतों में खून बहने जैसी समस्या भी हो सकती है। शिशुओं में इस प्रकार के संक्रमण के होने के कारण ज़्यादा रहते हैं क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं हुई होती।

  • पेट में कीड़ों की पुष्टि के लिए सबसे पहले शिशु की शौच के एक नमूना का परीक्षण किया जाता है।
  • चिकित्सक बच्चे के नाखूनों के नीचे से या शौच के क्षेत्र में से रुई के जरिए नमूना लेकर अण्डों की उपस्थिति जाँच सकता है।
  • इसके अलावा, ऑक्साइड की जाँच के लिए खासतौर पर बनाई गई चिपकने वाली टेप का इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल करके, शौच के स्थान से अण्डों के नमूने लिए जाते हैं।
  • कई मामलों में अल्ट्रासाउंड भी किया जा सकता है, लेकिन यह तब उपयोगी होता है जब संक्रमण काफी गंभीर हो। इससे डॉक्टर कीड़े के सही स्थान का पता लगा सकते हैं।

4पेट में कीड़ों का इलाज

सौभाग्य से, लगभग सभी आंतों की कीड़े मौखिक रूप से प्रशासित दवाओं के साथ ही ठीक हो जाते हैं। कई मामलों में आयरन के सप्लीमेंट दिए जाते हैं, अगर इन कीड़ों की वजह से एनीमिया की शिकायत हो।

किसी भी उपचार की शुरुआत से पहले, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि किस शिशु के पेट में किस प्रकार के कीड़े हैं। बहुत ही कम ऐसे मामले होते हैं, जहाँ शल्यचिकित्सा अर्थात सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है। आमतौर पर, पेट में कीड़ों के लिए पीने वाली दवाई ही दी जाती हैं। इलाज के बाद, पेट में कीड़े न होने की पुष्टि के लिए, फिर से टेस्ट किए जाते हैं।

बच्चे की उम्र और चिकित्सक की सिफारिशों के आधार पर, पारंपरिक उपचार जैसे लहसुन, कद्दू, ब्लूबेरी, अनार, अनानास, गाजर, इत्यादि देने की सलाह भी दी जाती है। इसके साथ ही प्रोबायोटिक्स युक्त सप्लीमेंट, पाचन एंजाइम, विटामिन सी या जिंक देने की सिफारिश भी की जाती है।

इन सब के बाद भी सबसे कठिन होता है बच्चे को दुबारा इस संक्रमण से बचाए रखना। इसलिए, शरीर और हाथों की स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है। शिशु के अंडरवीयर और संक्रमित कपड़ों को अच्छी तरह से और जितनी बार संभव हो धोया जाना चाहिए। इस समस्या को ख़त्म करने के लिए परिवार के अन्य सदस्यों को भी परीक्षण और उपचार की सलाह दी जाती है।

जरूर पढ़े – बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु कुछ सुझाव

5बच्चों को ऐसी बीमारियों से बचाने के लिए आप क्या कर सकते हैं

हालांकि कभी-कभी कई बार इन कीड़ों की वजह से होने वाले संक्रमण से खुद को दूषित होने से रोकना कठिन होता है, पर कई मामलों में, पेट के कीड़े गलत आदतों के फलस्वरूप ही उत्पन होते हैं। बच्चों को ऐसी बीमारियों से बचाने के लिए, माता-पिता को कुछ सरल नियमों का पालन करना पड़ता है:

  • बच्चों को अनियंत्रित स्रोतों से पानी पीने न दें।
  • बच्चों को खुले और दूषित पानी में स्नान करने से रोकें।
  • शौचालय का उपयोग करने और खाने से पहले बच्चों को अपने हाथों को धोने की आदत डालें।
  • शिशुओं के नाखूनों को काटने और शरीर की स्वच्छता का ख्याल रखें।
  • उन्हें ऐसी जगह न खेलने दें जहां पर्यावरणीय स्वच्छता अपर्याप्त है।
  • उन्हें खाने से पहले फलों और सब्ज़ियों को अच्छी तरह से धो कर खाने की आदत डालें।
  • उन्हें अच्छी तरह से तैयार और पक्का हुआ भोजन ही दें, खासतौर पर अगर आपका बच्चा मांस खाता हो।
  • खाना बनाते समय स्वच्छता का ख़ास ख्याल रखें।

इन छोटी-छोटी, लेकिन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रख कर, पेट में कीड़ों की समस्या से काफी हद तक राहत मिल सकती है। जैसे कि मैंने ऊपर बताया, इस समस्या के लक्षण दूसरी समस्याओं से मिलते-जुलते होने के कारण कई बार अनदेखे रह जाते हैं। उदाहरण के तौर पर पेट में दर्द या खांसी के और भी कई कारण हो सकते हैं। इसलिए, आपसे निवेदन है कि इनकी जाँच में कोई लापरवाही न बरतें क्योंकि समय रहते इस समस्या का इलाज ज़रूरी होता है।

अगर आपका भी कोई प्रश्न हो, तो हमारे विशेषज्ञ से पूछें।

क्या आपके बच्चे को भी पेट में कीड़े जैसी समस्या का सामना करना पड़ा था? ऐसे में, आपने कौन सा उपाय किया था? इस समस्या सम्बन्धी अगर आपके पास कोई सुझाव है, तो हमारे पाठकों से जरूर बांटें।

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