हम में से बहुत से लोग यह सोचते हैं कि मुँहासे सिर्फ किशोर और वयस्कों की एक समस्या है, जो उनमें होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। ऐसे कई मामले देखे गए हैं, जहाँ इस समस्या से नवजात और छोटे बच्चों को भी गुजरना पड़ा है क्योंकि इनकी त्वचा भी इस समस्या को विकसित करने के लिए अतिसंवेदनशील होती है। वास्तव में, आपको इस समस्या से पीड़ित बच्चे आमतौर पर ही मिल जाएंगे क्योंकि नवजात शिशु और छोटे बच्चे भी माँ के गर्भ से बाहर आने के बाद हार्मोनल बदलावों से गुज़रते हैं। इस लेख के माध्यम से, हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि वास्तव में नवजात बच्चों के मुँहासे कैसे दिखते हैं और नवजात बच्चों को मुँहासे होने के क्या कारण होते हैं।
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नवजात बच्चों के मुँहासे कैसे दिखते हैं
यह बहुत हैरान करने वाला हो सकता है, लेकिन बच्चों के मुँहासे भी वयस्कों की तरह उभरे-उभरे होते हैं। यह पीले से सफेद या कई बार लाल रंग के फफोले की तरह दिखते हैं। वयस्कों की तरह, बच्चों को भी मुँहासे कहीं भी चेहरे, जांघों, हाथों और पैरों इत्यादि पर हो सकते हैं।
नवजात बच्चों को मुँहासे होने के क्या कारण होते हैं
वयस्कों की तरह, बच्चों के मामले में भी मुँहासों के लिए किसी एक निर्धारित कारण को जिम्मेदार नहीं समझा जा सकता। बच्चों को मुँहासे होने के लिए एक कारण या कई अलग-अलग कारणों का संयोजन जिम्मेदार हो सकता है।
1हार्मोनल परिवर्तन
बच्चों को मुँहासे होने का सबसे प्रमुख कारण हार्मोनल परिवर्तन को माना जाता है। लेकिन अगर बच्चा 3 महीने से छोटा है, उसको होने वाले मुँहासों के लिए बच्चे के नहीं, बल्कि उसकी माँ के हार्मोन को जिम्मेदार माना जाता है। यह एक ज्ञात तथ्य है कि गर्भावस्था के अंतिम चरण के दौरान, मां के हार्मोन बच्चे के तंत्र में आते हैं, जो तेल ग्रंथियों को उत्तेजित करते हैं। यह अंततः, बच्चों को होने वाले मुँहासों का कारण बनते हैं।
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2गंदगी और संक्रमण
इसमें ज़्यादा दिमाग लगाने की जरुरत नहीं है कि मुँहासों के पीछे एक कारण गंदगी और संक्रमण है। छोटे बच्चों के मामलें में, उनकी त्वचा के पोर्स अर्थात त्वचा छिद्र ठीक से विकसित नहीं हुए होते। जिस वजह से गंदगी के प्रवेश के लिए वह आसान लक्ष्य बन जाते हैं। यही नहीं, नए बच्चों के मामलों में अक्सर देखा जाता है कि रिश्तेदार उनको पुचकारने लगते हैं, चूमने लगते हैं और जरुरत से ज्यादा उनके नज़दीक चले जाते हैं। इन सब कारणों से बच्चे की त्वचा आसानी से संक्रमित हो जाती है।
3त्वचा की संवेदनशीलता
चूंकि शिशुओं की त्वचा की बाहरी परत अब भी विकास के चरण में है, यहां तक कि तापमान में अचानक परिवर्तन जैसी छोटी चीजें, त्वचा पर ज्यादा ज़ोर से सफाई करने, और किसी भी सख्त या रूखी चीज़ से संपर्क में आने मात्र से भी बच्चे की त्वचा छिल सकती है। लेकिन जैसा हम हमेशा कहते हैं कि हर बच्चा दूसरे से अलग है, तो इन घटनाओं का असर भी हर बच्चे पर अलग रूप से देखा जा सकता है। कुछ बच्चों में इनके गंभीर परिणाम देखे जा सकते हैं, वहीं दूसरों में इन घटनाओं का कोई असर देखने को नहीं भी मिल सकता।
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4एलर्जी प्रतिक्रियाएं
बच्चों को या तो भोजन या दवा से एलर्जी हो सकती है और एलर्जी की वजह से दाने या रैशेस होना आम बात है। लेकिन आपको इस बात को समझना होगा कि रैशेस और मुँहासे दोनों अलग-अलग चीज़े हैं। हालांकि, रैशेस और मुँहासे, दोनों ही आम समस्या हैं और इनसे कोई विशेष खतरा नहीं होता, लेकिन फिर भी आपको किसी त्वचा रोग विशेषज्ञ या बाल रोग विशेषज्ञ से एक बार सलाह ज़रूर ले लेनी चाहिए और जरूरत के हिसाब से इलाज करवा लेना चाहिए।
बच्चों के मुँहासे ठीक होने में कितना समय लेते हैं?
यदि आपका बच्चा 3 महीने से छोटा है, तो उसको होने वाले मुँहासों को “निओनेटल अर्थात नवजात को होने वाले मुँहासे” के नाम से जाना जाता है। यह मुँहासे, कुछ दिनों के बाद, अपने आप ही गायब हो जाएंगे। हालांकि, 3 महीने से ज्यादा उम्र वाले बच्चे के मामले में यह मुँहासे ठीक होने में काफी समय लेते हैं। इसे इलाज के लिए आपको मेडिकल इलाज़ की भी जरूरत पड़ सकती है, ताकि मुँहासों की वजह से शिशु के चेहरे पर दाग इत्यादि न पड़े।
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