
स्वलीनता या आत्मकेंद्रित अर्थात ऑटिज़्म एक ऐसा विकार होता है, जहां शिशु में अन्य बातों के अलावा, सामान्य चीज़े जैसे कि बात करने, जवाब देने और दूसरे के साथ बातचीत करने के मामले में, विकास में देरी हो जाती है। हालांकि विकार की गंभीरता हर बच्चे में अलग-अलग हो सकती है, पर किसी भी स्तर पर इस समस्या को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। पक्के तौर पर इनके कारणों का उल्लेख कर पाना बहुत कठिन है। वास्तव में स्वलीनता/ऑटिज़्म के लिए कई करक ज़िम्मेवार हो सकते हैं जैसे कि जैविक, आनुवंशिक और पर्यावरणीय। इस लेख के माध्यम से, मैं स्वलीनता अर्थात ऑटिज़्म से जुड़े उन कारणों पर चर्चा करना चाहूंगी, जो आमतौर पर इस विकार के लिए ज़िम्मेवार हो सकते हैं।
1रूबेला अर्थात जर्मन मीजल्स
अगर माता को गर्भावस्था के दौरान रूबेला संक्रमण होता है, तो शिशु में स्वलीनता अर्थात आटिज्म के होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रूबेला संक्रमण की वजह से माँ की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया सक्रिय हो जाती है, और यही प्रक्रिया गर्भ में पल रहे बच्चे को जोखिम में डाल देती है।
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इस बात में कोई दो राय नहीं है कि गर्भावस्था में अगर शिशु किसी भी वायरल संक्रमण की चपेट में आता है, तो शिशु स्वलीनता अर्थात आत्मकेंद्रित जैसे विकार से प्रभावित हो सकता है।
2आनुवंशिक प्रवृतियां
ज़्यादातर मामलों में यह एक आनुवांशिक समस्या के रूप में सामने आती है। हालांकि, जीनों (genes) को इसके लिए पूरी तरह से दोषी नहीं ठहराया जा सकता। स्वलीनता के पीछे कई और कारक है, जो अपनी भूमिका निभाते हैं। 15% मामलों में, यह कहा जाता है कि आटिज्म के लिए जीन ज़िम्मेवार होते हैं। ऐसे में, दुखांत यह है कि आप इन कारणों का कुछ नहीं कर सकते।
3गर्भावस्था और जन्म के पहले और दौरान कुछ घटनाएं
स्वलीनता के लिए कई अन्य कारण भी ज़िम्मेवार जो सकते हैं जैसे कि गर्भधारण के समय माता और पिता की उम्र, शिशु का निर्धारित समय से पहले जन्म, बच्चे के जन्म के दौरान पेश आई कठिनाइयां, जन्म के समय बच्चे का निर्धारित से कम वजन इत्यादि। यहाँ मैं फिर से कहना चाहूंगी कि यह सभी कारण भी अन्य कारकों के संयोजन की वजह से ही शिशु में स्वलीनता का कारण बनते हैं।
4जन्मपूर्व तनाव
गर्भवती माताओं को हमेशा खुश रहने की सलाह दी जाती है। ऐसा इस लिए कहा जाता है क्योंकि जन्मपूर्व तनाव गर्भ से जुड़ी कई चिंताओं को जन्म दे सकता है। कई अध्ययनों के अनुसार, जन्मपूर्व तनाव स्वलीनता के अन्य कारणों में से प्रमुख कारण पाया गया है।
अपने बच्चे में स्वलीनता होने की संभावना से बचने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
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5वायु प्रदूषण से बचाव
वायु प्रदूषण से खुद को बचा कर, आप अपने शिशु को आटिज्म के खतरे से काफी हद तक बचा सकते हैं। इसलिए वायु प्रदूषण के संपर्क में जितना हो, न आए। आमतौर पर वायु प्रदूषण को ऑटिज्म के साथ जोड़ कर नहीं देखा जाता, जो कि एक बहुत बड़ी गलती है। ऑटिज्म और वायु-प्रदूषण के बीच संबंधों के ऊपर किए गए शोधों में शोधकर्ताओं ने पाया कि जो महिलाएं तीसरी तिमाही में वायु प्रदूषण के संपर्क में होती हैं, उनके बच्चों में स्वलीनता का जोखिम दोगुना होता है।
6हानिकारक रसायनों से बचाव
गर्भावस्था में आप जितना ज़्यादा जहरीले रसायनों के सम्पर्क में आने का जोखिम लेंगी, आपके बच्चे की ऑटिस्टिक होने की संभावना उतनी ही बढ़ जाएगी। यातायात से संबंधित प्रदूषण में बहुत अधिक मात्रा में धातु, कीटनाशक और फाल्लेट पाए जाते हैं, जिससे गर्भवती महिलाओं को बहुत ज़्यादा खतरा होता है। अतः, गर्भवती महिलयों को खुद को इनके सम्पर्क में नहीं लाना चाहिए।
7दूसरे गर्भधारण में अंतर
हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि एक महिला जो अपनी गर्भधारण के बीच 2 से 5 वर्षों का रखती है, उनके बच्चों में स्वलीनता का जोखिम सबसे कम होता है। इसलिए यदि आप एक और बच्चे की योजना बना रहीं हैं, तो गर्भधारण के बीच कम से कम 2 साल का अंतर ज़रूर रखें।
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8उचित दवा लें
कई बार हमें लगता है कि हमारी माता और दादी गर्भधारण के दौरान किए गए कुछ परीक्षण के बाद सुझाई गई दवाईंयां लिए बिना भी ठीक ही थी और हमें लगता है कि हम भी दवाइयों के बिना ठीक ही रहेंगे। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। यह जरूरी है कि आप अपने फोलिक एसिड सप्लीमेंट, विटामिन डी, एवं कैल्शियम सही मात्रा में लेती रहें क्योंकि ऐसा करने से आप अपने बच्चे को स्वलीनता के खतरों से बचा पाएंगी।
यह सच है कि जहाँ एक जीन और अनुवांशिकता का सवाल है, आप ज़्यादा कुछ नहीं कर पाएंगी, लेकिन आप पर्यावरणीय कारकों से तो खुद को बचा ही सकती हैं और जो कुछ भी कर पाने में समर्थ है, तो कर ही सकती हैं। आखिरकार, यह बच्चे के पूरे जीवन का मामला है।
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