
मुझे उम्मीद है कि आपने भी ऐसे बच्चे देखें होंगे, जो उनकी बात न माने जाने पर बेतरतीब ढंग से अपना गुस्सा ज़ाहिर करते है और कई बार तो ज़मीन पर लेटने तक लगते है। ऐसे में माता-पिता के लिए उन्हें संभाल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। कई बार तो उनके इस रवैये से माता-पिता को शर्मसार भी होना पड़ता है। अगर आप भी इस दुविधा से गुज़र रहें है, तो हमारा लेख ज़रूर पढ़े क्योंकि इसको पढ़ने के बाद आप समझ जाएंगे कि छोटे बच्चों के नखरों से कैसे निपटे।
जब आपका बच्चा छोटी-छोटी चीज़ों पर बेतरतीब ढंग से बहुत ज़्यादा गुस्सा दिखाने लगता है, तो आप यह मान लेते है कि वह आगे चलकर आपको काफी परेशान करने वाला है। पर मेरा यकीन मानिए, ऐसा कुछ भी नहीं है। हम वयस्कों की तरह, छोटे बच्चे में भी मूड परिवर्तन होता है, जिनका उनके स्वभाव पर असर पड़ता है। छोटे बच्चों के गुस्से से कैसे निपटा जाता है, यह जानने से पहले, आपको उनके गुस्से के कारणों को समझना होगा। आइए, पहले हम इनके कारणों के बारे में बात करते हैं।
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ऐसा क्यों होता है?
उचित संचार की कमी
चाहे बात नवजात शिशु की हो या थोड़े से बड़े बच्चे की, अगर उसकी बात को अनसुना किया जाएगा या फिर उसे बात को रखने ही नहीं दिया जाएगा, तो वह अपनी नाराज़गी गुस्सा ज़ाहिर करके ही व्यक्त करेगा। वयस्कों की तरह ही शिशु भी हमें अपनी मांगों को बताने की पूरी कोशिश करते हैं। लेकिन उनके इशारों को समझ पाना हमारे लिए आसान नहीं होता क्योंकि हमें लगता है कि वह सिर्फ नखरे कर रहें हैं। हमारे अनसुना और अनदेखा करने पर, शिशु हमारा ध्यान खींचने के लिए चीखना- चिल्लाना और गुस्सा ज़ाहिर करना शुरू कर देते है।
जब वह बहुत ज़्यादा भूखे होते हैं
बच्चों के गुस्सा व्यक्त करने के इस कारण का तो मैंने निजी तौर पर अनुभव किया है। कई बार घर के कामों की वजह से मैं अपने बच्चे को समय पर खाना देना भूल जाती हूँ या कहा जाए कि लेट हो जाती हूँ। हालांकि ऐसा अक्सर नहीं होता, पर जब कभी भी होता है, उस वक़्त मेरे शिशु की चीखे सुनने वाली होती है। अन्य बच्चों की तरह मेरा शिशु रोता नहीं है, पर गुस्सा ज़ाहिर करने के लिए अपनी पूरी ताकत से चीखता है। इसलिए मैं कह सकती हूँ कि जब बच्चों को भूख लगी होती है और आप उन पर ध्यान नहीं देते, तो वह चीख- चिल्ला कर ही अपना गुस्सा प्रगट करते हैं।
जब शिशु थके हुए होते हैं और उन्हें नींद न आ रही होती
अब यह कारण थोड़ा अजीब है क्योंकि अगर आप थके हुए है, तो आपको नींद आनी चाहिए। परन्तु शिशुओं के मामले में उल्टा है। जब उनकी थकान उनकी सहनशील सीमा से परे हो जाती है और वह सो नहीं पाते, तो वह अपनी झुंझलाहट को गुस्से से ही व्यक्त करते है।
जब वे डरते हैं
हम वयस्कों की तरह ही छोटे बच्चों में भी अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग भावनाओं को व्यक्त करने की प्रवृत्ति होती है। परन्तु, छोटे बच्चे उन भावनाओं को अलग तरीके से व्यक्त करते हैं।
जैसे कि जब उन्हें डर लग रहा होता है, ऐसे में या तो वह आपकी ओर दौड़ते है या फिर चिल्लाने और रोने लगते हैं।
मेरा शिशु भी डर की स्थिति में चिल्लाने और रोने लगता है। कई बार वह तेज़ी से मेरी तरफ रेंग कर आने का पुरज़ोर प्रयास करता है। हालांकि, उसमें यह देखने की उत्सुकता भी होती है कि आगे क्या होगा, परन्तु वह चीख -चिल्ला कर अपना गुस्सा व्यक्त करना नहीं भूलता।
जब वे कुछ चाहते हैं
हम वयस्कों की तुलना में बच्चे सही और गलत नहीं समझ पाते, इसी वजह से वह अपने गुस्से को बेतरतीब तरीके से व्यक्त करते हैं। उनको समझ नहीं होती कि सार्वजनिक स्थान पर गुस्सा व्यक्त करना ठीक नहीं होता। कई बार जब मांगे जाने पर कोई चीज़ नहीं मिलती, तो ऐसे में आप उम्मीद कर सकते है कि बच्चा बेतरतीब ढंग से ही अपना गुस्सा ज़ाहिर करेगा।
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आइए अब जानते हैं कि छोटे बच्चों के गुस्से से कैसे निपटा जाए
- माता-पिता होने के नाते आपको सबसे पहले बच्चे के गुस्से के पीछे की प्रमुख वजह को समझना होता है। आपको समझना होता है कि कहीं आपका शिशु भूखा तो नहीं, या उसे नींद तो नहीं आ रही है। कारण जो भी हो, आपको उसकी समस्या को सुलझाना होता है।
- कई बार आपको बच्चे के इस व्यवहार को अनदेखा भी करना पड़ता है। पर ऐसा करने से पहले यह जांच लें कि कहीं वह भूखा या थका हुआ न हो। अगर ऐसी कोई संभावना नज़र नहीं आए, तो उसके गुस्से को अनदेखा कर दें क्योंकि थोड़ी देर बाद वह खुद ही सामान्य हो जाएगा।
- जब शिशु गुस्सा व्यक्त करे, उसके ध्यान को भटका दें। आसान शब्दों में कहा जाए, तो उसको किसी दूसरी चीज़ में व्यस्त कर दें। यहाँ पर मैं एक निजी अनुभव बाँटना चाहूंगी। जैसे ही मेरा भतीजा मेरे घर पर आता है, तो उसकी पहली कोशिश होती है फ्रिज में से कोल्ड ड्रिंक निकालना। हालांकि वह सिर्फ दो साल का है, पर अगर कोल्ड ड्रिंक न दिया जाए, तो वह ज़ोर-ज़ोर से अपना सिर दीवार पर मारने लगता है। उसको ऐसा करने से रोकने के लिए, जब भी वह फ्रिज की और बढ़ता है, हम दूसरी और से ज़ोर-ज़ोर से तालियां बजाने लगते हैं। इससे उसका ध्यान कुछ सयम के लिए कोल्ड ड्रिंक से हट कर हमारी तालिओं पर आ जाता है और कुछ समय के लिए वह कोल्ड ड्रिंक भूल जाता है।
- जब आपका बच्चा बहुत ज़्यादा गुस्सा में हो, तो उसके गुस्सा को अनदेखा करने से अच्छा है, उसे प्यार से गले लगाएं और चूमें। ऐसा करने से उसे सुरक्षा महसूस होगी और वह जल्द ही गुस्सा भूल जाएगा।
- जब भी मैं कोई काम करने लगती हूँ, तो मैं अपने शिशु को व्यस्त रखने के लिए कुछ न कुछ ज़रूर दे देती हूँ, जैसे कि सेब या किसी अन्य फल का टुकड़ा या फिर बिस्कुट। इससे मेरा शिशु शांत रहता है।
क्या आपका बच्चा भी बहुत ज़्यादा गुस्सा व्यक्त करता है? आप उसे शांत करवाने के लिए कौन सी तरकीब का इस्तेमाल करते हैं? अगर इस सन्दर्भ में आपके भी कोई सवाल है, तो हमसे ज़रूर पूछे। हमें मदद करने में ख़ुशी होगी।
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