दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान होने वाले ब्लड टेस्टों के बारे में

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Shruti Singh

A proud mom to a beautiful little baby girl, learning the art of parenting one day at a time. Experiencing the joys of being a mom for the first time. Excited and anxious about the journey. Takes being a stay-at-home mom as a challenge and there's nothing she would change about it.

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अगर आपने हमारा पहली तिमाही के दौरान होने वाले ब्लड टेस्टों के बारे में लिखा गया लेख पड़ा है, तो आप जान ही गए होंगे कि गर्भावस्था में आमतौर पर किए जाने वाले सभी ब्लड टेस्ट कितने महत्वपूर्ण होते हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान होने वाले ब्लड टेस्टों के बारे में बताएँगे। जैसा कि हमने अपने पिछले लेख में कहा था, यह सभी ब्लड टेस्ट गर्भवती महिला और आने वाले शिशु की सेहत के लिए बहुत ज़रूरी होते हैं, तो इन्हे करवाने के बारे में कोई अनदेखी नहीं करनी चाहिए। आपकी उम्र, सेहत और किसी रोग के लिए पारिवारिक इतिहास के मध्यनज़र, डॉक्टर आपको इन टेस्टों के अलावा और भी कई टेस्ट करवाने की सलाह दे सकता है। आइए, अब हम इन टेस्टों के बारे में चर्चा करते हैं –

जरूर पढ़े – पहली तिमाही के दौरान होने वाले ब्लड टेस्टों के बारे में

1मल्टीप्ल मार्कर टेस्ट या मैटरनल सीरम अल्फा – फेटोप्रोटीन स्क्रीनिंग (MSAFP)

यह एक जेनेटिक स्क्रीनिंग टेस्ट होता है जो कि गर्भावस्था के 15 से 20 हफ्ते के मध्य किया जाता है। यह परीक्षण गर्भ में किसी भी असामान्यता जो कि विशेष रूप से डाउन सिंड्रोम या न्यूरल ट्यूब से जुड़ी हो सकती हैं, की जांच के लिए किया जाता है। चाहे यह स्क्रीनिंग गर्भ में पल रहे बच्चे में किसी प्रकार के दोष की संभावना की जांच करने के लिए है, फिर भी यह एक समृद्ध तरीका नहीं क्योंकि स्क्रीनिंग के वक़्त आनुवंशिक (जेनेटिक) दोष, कई बार पकड़ में नहीं आते।

2ग्लूकोस टॉलरेंस टेस्ट (GTT)

जी.टी.टी टेस्ट गर्भावधि में मधुमेह को जांचने के लिए किया जाता है, क्योंकि इस अवधि में बहुत सी महिलाएं इससे पीड़ित होती हैं। यह एक प्रकार का मधुमेह है जो केवल गर्भावस्था के दौरान होता है। कुछ गर्भवती महिलाओं में यह रोग गर्भावस्था समाप्त होने के कुछ ही समय बाद ठीक हो जाता है, वहीं अन्य कई महिलाओं को एक रोग से छुटकारा पाने में काफी समय लग जाता है। यह परीक्षण आम तौर पर गर्भावस्था के 24वें से 28वें सप्ताह के दौरान किया जाता है। लेकिन अगर आप किसी जोखिम श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, तो यह टेस्ट इस अवधि से पहले भी किया जा सकता है। यद्यपि परीक्षण के समय एक रक्त का नमूना लिया जाता है, इसके साथ ही आपको ग्लूकोज भी पीना होता है।

3एम्निओसेंटेसिस (Amniocentesis)

एम्निओसेंटेसिस एक परीक्षण है, जिसमें अम्मोनियोटिक द्रव (आपके बच्चे के आसपास का तरल पदार्थ) का एक नमूना लिया जाता है। इस द्रव का नमूना पेट से गर्भाशय में चूसने वाली बहुत पतली सुई की सहायता से लिया जाता है। यह परीक्षण बहुत सुरक्षित रूप से किया जाता है और यह भ्रूण के स्वास्थ्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है।

यदि आप 35 या उससे ऊपर की आयु श्रेणी में आते हैं, या आपका आनुवांशिक विकारों का पारिवारिक इतिहास है या आपके इससे पहले आनुवांशिक दोष वाला कोई बच्चा है, तो डॉक्टर आपको इस परीक्षण की सिफारिश अवश्य करेगा।

4ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस स्क्रीनिंग

गर्भावस्था के 37वें और 38वें हफ्ते के बीच अर्थात तीसरी तिमाही में नियत तारीख के करीब, आपकी योनि और रेक्टल से जाँच के लिए नमूने लिए जाते हैं। यह टेस्ट ग्रुप बी स्ट्रेप बैक्टीरिया की किसी भी उपस्थिति को देखने के लिए किया जाता है। इसकी उपस्थिति से नवजात शिशुओं में घातक संक्रमण हो सकता है। इतना ही नहीं, यह आने वाले शिशु में नज़र दोष, मानसिक मंदता और बहरापन आदि का कारण भी बन सकता है। यदि आप इस संक्रमण के लिए सकारात्मक पाई जाती हैं, तो आपको एंटीबायोटिक दवाइयां दी जाती हैं ताकि आपसे यह संक्रमण आपके बच्चे को न हो।

5संकुचन और गैर तनाव टेस्ट

ये दोनों परीक्षण उन महिलाओं पर किए जाते हैं, जिनकी गर्भावस्था को उच्च जोखिम वाले गर्भधारण की श्रेणी में रखा जाता है। गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप या मधुमेह के संकेत मिलने पर भी यह टेस्ट किया जाता है। गैर-तनाव टेस्ट में, बच्चे के हृदय की दर को देखने के लिए एक फिटल मॉनिटर महिला के पेट के चारों ओर लपेट दिया जाता है। संकुचन टेस्ट में यह देखा जाता है कि पैदा होने वाला शिशु प्रसव पीड़ा के दौरान संकुचन का जवाब कैसे देगा। दोनों ही परीक्षण उच्च जोखिम वाले गर्भधारण के लिए महत्वपूर्ण हैं।

अभी डाउनलोड करें (अंग्रेजी में) – प्रसव पीड़ा – प्रारंभिक लक्षण, लक्षण, और श्रम के चरणों

आपको ऊपर दिए गए सभी टेस्ट करवाने पड़ेंगे या नहीं, यह आपके स्वास्थ्य रिकॉर्ड और पिछले गर्भधारण (यदि कोई हो) की रिपोर्टों के आधार पर आपका डॉक्टर ही तय करेगा। लेकिन, कुछ भी हो, इन टेस्टों को करवाना न केवल आपके लिए फायदेमंद है बल्कि आपके बच्चे के लिए भी लाभप्रद सिद्ध होगा। इसलिए डॉक्टर द्वारा सुझाई गई सही समय-सीमा के हिसाब से आपको दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान होने वाले ब्लड टेस्टों में कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।

इन सभी टेस्टों के अलावा, क्या कोई और भी टेस्ट था, जिसे आपके डॉक्टर ने करवाना ज़रूरी समझा? इस विषय में हमें और हमारे पाठकों को ज़रूर बताएं।

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