
बहुत से लोग हमसे अक्सर पूछते हैं कि नवजात शिशु के बालों की देखभाल कैसे की जाती है? बहुत से लोगों का मानना है कि एक निर्धारित आयु तक बच्चे के बालों को कंघा नहीं लगाना चाहिए। लेकिन, इसके विपरीत बहुत से माता-पिता अपने बच्चे के बालों की सफाई को लेकर ज्यादा चिंतित रहते हैं। इस लेख के माध्यम से हम आज आपको बताना चाहेंगे कि नवजात शिशुओं के बालों की देखभाल कैसे की जाती है।
कुछ नवजात बच्चों के अन्य बच्चों के मुकाबले में ज्यादा बाल क्यों होते हैं?
कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जिनको जन्म के समय बिलकुल भी बाल नहीं होते या बहुत ही कम होते हैं। वहीं दूसरी तरफ ऐसे भी बच्चे होते हैं, जिनके बहुत ही घने बाल होते हैं। यहां हम आपको बता दें कि बालों का कम या ज्यादा होना कोई समस्या नहीं है, बल्कि यह बच्चे को माता-पिता से मिलने वाले जीन्स पर आधारित होता है।
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जन्म के समय शिशु के बाल बहुत ही नाजुक और कोमल होते हैं। कई बच्चों के सिर में बालों के ठीक बीच क्रैडल कैप भी दिखाई देती है। क्रैडल कैप और सिर की मैल में अंतर होता है। इस विषय में ज्यादा जानकारी के लिए आप हमारा क्रैडल कैप पर लिखा गया लेख भी पड़ सकते हैं। कई मामलों में बच्चे के बालों को झड़ते हुए भी देखा जाता है। क्योंकि नवजात शिशु जायदा समय लेटा ही रहता है, इस वजह से उसके सिर के पीछे के बाल झड़ जाते हैं और कुछ बच्चों में गंजापन देखा जाता है। लेकिन, उम्र के साथ यह ठीक होता जाता है।
नवजात शिशु के बाल कितनी बार धोए जाते हैं?
बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात शिशुओं के बालों को सप्ताह में 2-3 बार ही धोया जाना चाहिए। नवजात शिशुओं के बाल वयस्कों की तरह नहीं होते अर्थात आपको इन्हें रोजाना धोने की कोई जरूरत नहीं होती। लेकिन, ध्यान रखें अगर आपका बच्चा बहुत छोटा है, तो बालों को धोते समय उसके मुंह या सिर पर सीधा पानी नहीं डालना चाहिए। आपको गीली रुई के इस्तेमाल से ही उनके बाल धोने चाहिए। इस विषय में आप हमारा संबंधित वीडियो भी देख सकते हैं।
नवजात बच्चों के बालों के लिए कॉस्मेटिक अर्थात शैम्पू इत्यादि का चुनाव कैसे करना चाहिए?
शुरुआती दिनों में, नवजात शिशु के सिर को धोने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले शैम्पू या साबुन का चुनाव करने से पहले अगर हो सके तो अपने बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। अगर आपके शिशु को क्रैडल कैप जैसी समस्या है, तो आपको उसके सिर की सफाई के लिए किसी खास शैम्पू की जरूरत पड़ सकती है।
मेरे मामले में, पहले मैं भी इस दुविधा में थी कि सिर पर दिखने वाली काले रंग की चीज क्रैडल कैप है या मैल। लेकिन, मेरे डॉक्टर ने मुझे बताया कि यह सिर्फ मैल है और इसकी सफाई के लिए मेरे डॉक्टर ने मुझे स्पू शैम्पू इस्तेमाल करने की सलाह दी।
बाजार में नवजात शिशुओं के सिर धोने के लिए अनगिनत टियर फ्री शैम्पू, साबुन इत्यादि के विकल्प उपलब्ध हैं। लेकिन, गलत चुनाव आपके शिशु के लिए परेशानी बन सकता है।
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मेरी सलाह में कोई ऐसा विकल्प देखें जो शैम्पू और शॉवर जैल दोनों का काम करे और याद रखें कि बच्चे की स्वस्थ त्वचा के लिए सबसे बेहतर कॉस्मेटिक वही होते हैं जिनमें pH की रेंज 4.5-6 तक होती है।
- भूलकर भी वयस्कों के शैम्पू से नवजात शिशुओं के सिर को न धोएं क्योंकि उनमें पाए जाने वाली रसायनों की मात्रा, नवजात शिशुओं के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक हो सकती है।
- बालों को धोने के बाद, नवजात शिशुओं के बालों को तौलिये से रगड़ें नहीं क्योंकि उनके बाल ज्यादा मजबूत नहीं होते और उनकी खोपड़ी भी बहुत नाजुक होती है। आपके जोर से रगड़ने की वजह से न केवल बालों को बल्कि खोपड़ी को भी नुकसान पहुंच सकता है।
नवजात शिशु के बालों में कंघी का इस्तेमाल कब शुरू करना चाहिए?
शुरुआती चरणों में मुलायम ब्रश की सिफारिश की जाती है जिसके साथ आप आसानी से बालों को संवार सकते हैं। जैसे-जैसे बच्चा बढ़ने लगता है, आप नाजुक दांतों वाली प्लास्टिक की कंघी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
हल्के हाथों से कंघी करने पर न केवल शिशु के बाल संवरते हैं, बल्कि रक्त परिसंचरण में भी सुधार होता है। इसलिए आपको न केवल सौंदर्य के लिए बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी ऐसा करना चाहिए।
नवजात शिशुओं के बाल किस उम्र से बदलते हैं?
जन्म से छह महीने के बाद, नवजात शिशु के असली बाल आ जाते हैं। हालांकि, इस उम्र तक शिशु के बालों की मोटाई और घनत्व देखकर यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि भविष्य में बच्चे के बाल कैसा दिखेंगे।
अगर आपका भी कोई प्रश्न हो, तो हमारे विशेषज्ञ से पूछें।
कभी-कभी जीवन के अपने पहले वर्षों में जिन बच्चों के बाल बहुत ज्यादा नहीं होते, उन्ही बच्चों के आगे चलकर बाल बहुत ही आकर्षक, घने और सुन्दर हो जाते हैं।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उम्र के साथ बच्चे के बालों की संरचना भी बदलती है। जैसे ही बच्चा 3-4 साल की उम्र के आसपास पहुँचता है, उसके बाल अपना असली रूप ले लेते हैं। बालों की अंतिम सरंचना एवं गुणवत्ता 6 साल की उम्र के आसपास निर्धारित की जा सकती है।
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